केरल में इस बार कुदरत ने ऐसा कहर बरपाया, जिसके जख्म शायद कभी ही भर पाएं. केरल के वायनाड में जिधर नजर जा रही है, उधर बस तबाही का मंजर ही दिख रहा है. वायनाड में हुए भूस्खलन में अब तक 300 से ज्यादा लोगों की मौत की खबर आ चुकी है. वहीं बहुत से घायलों का इलाज अभी जारी है. इस बीच भारतीय नेवी का वायनाड में बचाव और राहत अभियान जारी है. भारतीय नेवी ने खराब मौसम और मुश्किल हालातों के बीच वायनाड जिले के भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में बचाव और राहत अभियान जारी रखा है.
राहत और बचाव में जी-जान से जुटी नेवी
राहत प्रयासों को बढ़ाने और आपदा से प्रभावित लोगों की सहायता करने के लिए INS ज़मोरिन, एझिमाला से अतिरिक्त कर्मियों, स्टोर, संसाधनों और आवश्यक आपूर्ति को पहुंचाया गया. वर्तमान में, चल रहे बचाव अभियान में 78 नौसेना कर्मी शामिल हैं. टीमों को चूरलमाला और मुंडक्कई क्षेत्र के कई स्थानों पर तैनात किया गया है और वे आपदा राहत एजेंसियों और स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.
कैसे की जा रही है लोगों की मदद
प्रभावित लोगों को सामग्री, भोजन की निरंतर आपूर्ति बनाए रखने के लिए एक टीम को नदी के पास तैनात किया गया है, जबकि अन्य टीमों को जिंदा बचे लोगों की खोज, मलबे को साफ करने और शवों को बरामद करने के लिए तैनात किया गया है. घायलों को चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए चूरलमाला में एक मेडिकल सेटअप है. 03 अधिकारियों और 30 नौसैनिकों की एक टीम ने 01 अगस्त 24 को भूस्खलन से अलग-थलग पड़े चूरलमाला और मुंडक्कई क्षेत्रों को जोड़ने वाले नदी के बेली ब्रिज को बनाने में भारतीय सेना के प्रयासों में साथ दिया. नदी पर बना ये पुल भारी मशीनरी और एम्बुलेंस की आवाजाही और रसद आपूर्ति के लिए काफी अहम है.
लो विजिबिलिटी और मौसम ने बढ़ाई समस्या
02 अगस्त 24 को, कालीकट से संचालित आईएनएस गरुड़ पर तैनात उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) ने जीवित बचे लोगों और शवों का पता लगाने के लिए प्रभावित क्षेत्रों की गश्त की. हेलीकॉप्टर ने बचाव उपकरणों के साथ 12 राज्य पुलिस कर्मियों को आपदा क्षेत्र में पहुंचाया, जहां सड़क से पहुंचना मुश्किल था. लो विजिबिलिटी और चुनौतीपूर्ण मौसम की स्थिति में पहाड़ी इलाकों में उड़ान भरी गई. भारतीय नौसेना फंसे हुए लोगों को जल्दी से जल्दी निकालने, बुनियादी सुविधाओं और चिकित्सा सहायता सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रही है.
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