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This Article is From Dec 02, 2016

कैशलेस इंडिया की राह कठिन, कैट का दावा - अभी 10 फीसदी लोग ही करते हैं नकदी रहित भुगतान

कैशलेस इंडिया की राह कठिन, कैट का दावा - अभी 10 फीसदी लोग ही करते हैं नकदी रहित भुगतान
नई दिल्ली: नोटबंदी के बाद सरकार की ओर से देश में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दिए जाने पर जोर देने के बीच अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ (कैट) ने एक अध्ययन के आधार पर शुक्रवार को कहा कि देश में मात्र दस प्रतिशत जनसंख्या ही नकदी रहित भुगतान करती है जबकि करीब 96 प्रतिशत लेन-देन नकद में होता है.

कैट ने छोटे दुकानदारों और व्यापारियों को डिजिटल लेन-देन के बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से यहां दो दिवसीय ‘लेस कैश इंडिया महासम्मेलन-2016’ आयोजित किया है. सम्मेलन के पहले दिन कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि भारत मूलत: एक नकदी आधारित अर्थव्यवस्था है.

उन्होंने कार्ड से भुगतान सेवा मुहैया कराने वाली कंपनी मास्टरकार्ड के साथ कैट के एक अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि भारत में अभी केवल 10 प्रतिशत जनसंख्या ही नकदी रहित भुगतान करती है. जबकि स्वीडन में यह आंकड़ा 97 प्रतिशत, बेल्जियम में 93 प्रतिशत, फ्रांस में 92 प्रतिशत, कनाडा में 90 प्रतिशत और इंग्लैंड में 89 प्रतिशत है.

कैट की एक विज्ञप्ति के अुनसार ने व्यापारियों को डिजिटल भुगतान के बारे में प्रशिक्षित करने के लिए दो साल से एक बड़ा अभियान चलाया हुआ है और इसके लिए उन्होंने मास्टरकार्ड और एचडीएफसी बैंक से साझेदारी की है.

बयान में कैट के अध्यक्ष बीसी भरतिया के हवाले से कहा गया है कि भारत में अभी प्रति 10 लाख आबादी पर कार्ड-स्वाइप मशीनों का अनुपात 690 है जबकि चीने में यह अनुपात 4,000 और ब्राजील में 3300 प्रतिशत दस लाख आबादी है. भारत में 70 प्रतिशत मशीने के केवल 15 शहरों में सीमित हैं.

कैट के सम्मेलन में देश भर से व्यापारी एसोसिएशनों के करीब 300 प्रतिनिधि आमंत्रित है. इसके विभिन्न सत्रों को सरकार और उद्योग जगत के प्रतिनिधि और विशेषज्ञ संबोधित करेंगे.

गौरतलब है कि सरकार ने 8 नवंबर को पुराने 500 और 1000 रपए के नोट चलन से बाहर करने की घोषणा की है. सरकार ने कालेधन, भ्रष्टाचार, नकली नोट और आतंकवाद के वित्त पोषण पर प्रहार के उद्देश्य से यह कदम उठाया है और वह देश में भुगतान में नकदी के प्रयोग को कम करने के लिए डिजिटल भुगतान को बढावा देने के उपाय कर रही है.

रिजर्व बैंक की वाषिर्क रपट के अनुसार 31 मार्च 2016 को कुल 16,42,000 करोड़ रुपये मूल्य के बैंक नोट चलन में थे जिसमें से 500 और 1000 रुपये के नोटों का हिस्सा 86 प्रतिशत था और इन नोटों का मूल्य करीब 14,18,000 करोड़ रुपये था. रिजर्व बैंक ने करीब 90.27 अरब नोट जारी किए जिनमें से करीब 24 प्रतिशत बाजार में चलन में थे.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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