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This Article is From Jul 08, 2015

केंद ने सुप्रीम कोर्ट से की अपील, आपराधिक मानहानि को बने रहना चाहिए

केंद ने सुप्रीम कोर्ट से की अपील, आपराधिक मानहानि को बने रहना चाहिए
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने IPC की धारा 499 और 500 की वकालत करते हुए कहा है कि अपराधिक मानहानि मामले की सुनवाई 5 जजों की संविधान पीठ को भेजी जानी चाहिए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे पर वह सुनवाई के दौरान विचार करेगी।

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि इस मामले में हम यूके जैसे देशों से तुलना नहीं कर सकते। वहां पूरी तरह मामलों की जल्द सुनवाई की व्यवस्था है। हमारे देश में सिविल मामलों के निपटारे में बीस-बीस साल तक लग जाते हैं। ऐसे में आपराधिक मानहानि को बने रहना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह अपना जवाब कोर्ट में दाखिल करें और अब अगली सुनवाई 14 जुलाई को होगी। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट अपराधिक मानहानि की धारा 499 और 500 को रद्द करने की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।

बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत अन्य लोगों ने धारा को चुनौती देते हुए कहा है कि ये कानून असंवैधानिक है और मौलिक अधिकारों का हनन करता है।

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी लोगो के ख़िलाफ़ अपराधिक मानहानि के अलग-अलग मामलों में निचली अदालतों में चल रही सुनवाई पर रोक लगा दी थी और केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। कोर्ट ने दिल्ली सरकार के मीडिया को लेकर जारी किये गए सर्कुलर पर भी रोक लगा दी थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगी।

दिल्ली सरकार ने कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा है कि उसकी मंशा इस कानून के दुरुपयोग को रोकने की थी, लेकिन अगर कोर्ट को लगता है कि ये सर्कुलर गलत है, तो सरकार इसे वापस लेने को तैयार है।

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