कर्नाटक के लोकयुक्त सुधाकर राव की फाइल फोटो
बेंगलुरु:
बैंगलोर सिटी क्राइम ब्रांच के डीआईजी एम चंद्रशेखर ने लोकयुक्त भास्कर राव को एक पत्र लिख कर उनसे आग्रह किया है कि वह लोकयुक्त दफ्तर में कथित रूप से व्याप्त भ्रष्टाचार की जांच क्राइम ब्रांच से करवाने के अपने फैसले पर फिर से विचार करें।
क्राइम ब्रांच के इस पत्र के जवाब में लोकयुक्त जस्टिस भास्कर राव ने राज्य सरकार से अब इस मामले की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से करवाने को कहा है।
दरअसल सिटी क्राइम ब्रांच के प्रमुख डीआईजी एम चंद्रशेखर के ससुर रामनजप्पा के मामले की जांच लोकयुक्त पुलिस कर रही है। साल 2010 में रामनजप्पा भूमि विभाग में बेंगलुरु के विशेष आयुक्त थे, तब लोकयुक्त पुलिस ने 50 हज़ार रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया था।
ऐसे में चंद्रशेखर ने लोकयुक्त भास्कर राव को इस मामले की जांच क्राइम ब्रांच से ना करवाने की सलाह दी। हालांकि क्राइम ब्रांच से जांच के फैसले पर उप लोकायुक्त जस्टिस अडिगा ने भी ये कहते हुए आपत्ति जताई थी कि सिटी क्राइम ब्रांच लोकयुक्त की अपेक्षा एक छोटी संस्था है, ऐसे में इस तरह की संवेदनशील जांच क्राइम ब्रांच को नहीं सौंपनी चाहिए।
हाल ही में लोकयुक्त के दफ्तर में पुलिस अधीक्षक सोनिया नारंग ने एक पत्र लिख कर रजिस्ट्रार से आग्रह किया था की वह लोकयुक्त दफ्तर में व्याप्त कथित भ्रष्टाचार की शिकायत की जांच करवाए। दरअसल एक कार्यकारी इंजीनियर ने आरोप लगाया है की इस दफ्तर के अंदर एक शख्स ने उसे बुलाया और एक करोड़ रुपये की मांग की। उसने कथित रूप से उसे धमकी दी कि अगर उसने ऐसा नहीं किया तो उसके घर पर लोकायुक्त का छापा पड़ेगा।
आरटीआई कार्यकर्ताओं का आरोप है कि लोकयुक्त जस्टिस भास्कर राव की शह पर इस इंजीनियर से रिश्वत मांगी गई। ये लोग इस मामले की सीबीआई से जांच करवाने की मांग कर रहे हैं। हालांकि लोकयुक्त इन आरोपों से इनकार कर रहे हैं।
क्राइम ब्रांच के इस पत्र के जवाब में लोकयुक्त जस्टिस भास्कर राव ने राज्य सरकार से अब इस मामले की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से करवाने को कहा है।
दरअसल सिटी क्राइम ब्रांच के प्रमुख डीआईजी एम चंद्रशेखर के ससुर रामनजप्पा के मामले की जांच लोकयुक्त पुलिस कर रही है। साल 2010 में रामनजप्पा भूमि विभाग में बेंगलुरु के विशेष आयुक्त थे, तब लोकयुक्त पुलिस ने 50 हज़ार रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया था।
ऐसे में चंद्रशेखर ने लोकयुक्त भास्कर राव को इस मामले की जांच क्राइम ब्रांच से ना करवाने की सलाह दी। हालांकि क्राइम ब्रांच से जांच के फैसले पर उप लोकायुक्त जस्टिस अडिगा ने भी ये कहते हुए आपत्ति जताई थी कि सिटी क्राइम ब्रांच लोकयुक्त की अपेक्षा एक छोटी संस्था है, ऐसे में इस तरह की संवेदनशील जांच क्राइम ब्रांच को नहीं सौंपनी चाहिए।
हाल ही में लोकयुक्त के दफ्तर में पुलिस अधीक्षक सोनिया नारंग ने एक पत्र लिख कर रजिस्ट्रार से आग्रह किया था की वह लोकयुक्त दफ्तर में व्याप्त कथित भ्रष्टाचार की शिकायत की जांच करवाए। दरअसल एक कार्यकारी इंजीनियर ने आरोप लगाया है की इस दफ्तर के अंदर एक शख्स ने उसे बुलाया और एक करोड़ रुपये की मांग की। उसने कथित रूप से उसे धमकी दी कि अगर उसने ऐसा नहीं किया तो उसके घर पर लोकायुक्त का छापा पड़ेगा।
आरटीआई कार्यकर्ताओं का आरोप है कि लोकयुक्त जस्टिस भास्कर राव की शह पर इस इंजीनियर से रिश्वत मांगी गई। ये लोग इस मामले की सीबीआई से जांच करवाने की मांग कर रहे हैं। हालांकि लोकयुक्त इन आरोपों से इनकार कर रहे हैं।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
कर्नाटक, कर्नाटक लोकायुक्त, आईपीएस अधिकारी, भ्रष्टाचार, Karnataka, Karnataka Lokayukta, Corruption Allegation On Karnataka Lokayukta, Justice Sudhakar Rao, भास्कर राव