नई दिल्ली:
पहले मायावती के खिलाफ बीजेपी से निकाल दिए दयाशंकर सिंह की टिप्पणी और उसके खिलाफ BSP का प्रदर्शन और अब शनिवार को बीएसपी नेताओं की टिप्पणियों के खिलाफ उत्तर प्रदेश में जगह-जगह बीजेपी का प्रदर्शन। दलितों के मुद्दे पर उत्तर प्रदेश में सबसे ज़्यादा राजनीति हो रही है और दलितों पर अत्याचार के मामले भी वहीं से सबसे ज़्यादा सामने आते हैं।
गृह मंत्रालय की तरफ से संसद में पेश आंकड़े बताते हैं कि 2015 में उत्तर प्रदेश में दलितों के खिलाफ ज़्यादतियों के कुल 8946 मामले दर्ज़ किए गए। दूसरे नंबर पर राजस्थान है जहां इस दौरान 7144 मामले दर्ज़ हुए। इसके बाद बिहार का नंबर है जहां 7121 मामले पुलिस ने दर्ज़ किए जबकि चौथे नंबर पर गुजरात है जहां 6655 मामले दर्ज़ हुए।
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष पी एल पुनिया ने एनडीटीवी से कहा, "ऊंची जाति के लोगों को ये पसंद नहीं है कि दलित समुदाय आगे बढ़े। मुश्किल ये है कि दलितों के खिलाफ अपराध के मामलों में पुलिस कानून भी सही तरीके से लागू नहीं करती और तय समय में जांच भी पूरी नहीं की जाती है।'' बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी कहते हैं, "SC सबसे कमज़ोर अंग हैं समाज के, इसलिए उनपर अत्याचार बढ़ रहा है।"
पुनिया के मुताबिक दलितों पर ज़्यादतियों के मामलों से निपटने के लिए कानून में पिछले साल संशोधन करके और सख्त बनाया गया, लेकिन फिर भी अपराध थम नहीं रहे। दरअसल दलितों के खिलाफ अत्याचार के बढ़ते मामलों से सवाल महत्वपूर्ण होता जा रहा है कि इन्हें रोकने के लिए मौजूदा कानूनी पहल नाकाफी है और सरकारों को इससे निपटने के लिए नए सिरे से पहल करनी होगी।
गृह मंत्रालय की तरफ से संसद में पेश आंकड़े बताते हैं कि 2015 में उत्तर प्रदेश में दलितों के खिलाफ ज़्यादतियों के कुल 8946 मामले दर्ज़ किए गए। दूसरे नंबर पर राजस्थान है जहां इस दौरान 7144 मामले दर्ज़ हुए। इसके बाद बिहार का नंबर है जहां 7121 मामले पुलिस ने दर्ज़ किए जबकि चौथे नंबर पर गुजरात है जहां 6655 मामले दर्ज़ हुए।
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष पी एल पुनिया ने एनडीटीवी से कहा, "ऊंची जाति के लोगों को ये पसंद नहीं है कि दलित समुदाय आगे बढ़े। मुश्किल ये है कि दलितों के खिलाफ अपराध के मामलों में पुलिस कानून भी सही तरीके से लागू नहीं करती और तय समय में जांच भी पूरी नहीं की जाती है।'' बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी कहते हैं, "SC सबसे कमज़ोर अंग हैं समाज के, इसलिए उनपर अत्याचार बढ़ रहा है।"
पुनिया के मुताबिक दलितों पर ज़्यादतियों के मामलों से निपटने के लिए कानून में पिछले साल संशोधन करके और सख्त बनाया गया, लेकिन फिर भी अपराध थम नहीं रहे। दरअसल दलितों के खिलाफ अत्याचार के बढ़ते मामलों से सवाल महत्वपूर्ण होता जा रहा है कि इन्हें रोकने के लिए मौजूदा कानूनी पहल नाकाफी है और सरकारों को इससे निपटने के लिए नए सिरे से पहल करनी होगी।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
दलितों पर अत्याचार, दलित उत्पीड़न, पी एल पूनिया, उत्तर प्रदेश, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, Dalit Atrocities, Atrocities Against Dalits, PL Punia, Uttar Pradesh, National Scheduled Caste Commission