प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
केरल विधानसभा चुनाव में जीत और बंगाल के साथ तमिलनाडु में मिली करारी हार के बाद सीपीएम की पोलित ब्यूरो की मीटिंग रविवार को दिल्ली में शुरू हो रही है। विधानसभा चुनावों के बाद ये पहली पोलित ब्यूरो मीटिंग है, जिसमें पार्टी के नेताओं के बीच काफी गरम बहस होने की संभावना है।
पोलित ब्यूरो में बंगाल में सीपीएम की करारी हार और उसके कारणों पर ही मुख्य रूप से चर्चा होगी पोलित ब्यूरो के सदस्य हन्नान मुल्ला ने एनडीटीवी इंडिया से कहा, 'समय कम है इसलिये मुख्य रूप से चर्चा बंगाल पर ही केंद्रित रहेगी'।
पोलित ब्यूरो के कुछ सदस्य बंगाल में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की रणनीति से काफी नाराज हैं।
पोलित ब्यूरो के वरिष्ठ नेता ने एनडीटीवी इंडिया से कहा, 'फरवरी में सेंट्रल कमेटी ने कांग्रेस के साथ तालमेल बनाकर चुनाव लड़ने की रणनीति को खारिज कर दिया था। हम ये सवाल पूछना चाहेंगे कि आखिर कांग्रेस पार्टी के साथ गठजोड़ हुआ कैसे? '
पोलित ब्यूरो के कुछ सदस्य कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की रणनीति के लिये मुख्य रूप से सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। जो नेता कांग्रेस से हाथ मिलाने के खिलाफ थे उनमें पूर्व महासचिव प्रकाश करात, वृंदा करात, सुभाषिनी अली, एसआर पिल्लई शामिल हैं।
सीताराम येचुरी के साथ बंगाल के नेता हैं जिनमें वरिष्ठ पोलित ब्यूरो सदस्य विमान बोस, मोहम्मद सलीम और सूर्यकांत मिश्रा शामिल हैं। येचुरी खेमे का कहना है कि कांग्रेस के साथ बंगाल में कोई चुनावी गठजोड़ नहीं था। ममता बनर्जी के खिलाफ एक आपसी समझदारी थी जो ज़मीनी हालात को देखते हुये ज़रूरी लग रही थी क्योंकि लेफ्ट और कांग्रेस दोनों ही पक्ष के नेताओं पर टीएमसी कार्यकर्ताओं की ओर से लगातार हमले हो रहे थे। कांग्रेस ने इस तालमेल का प्रस्ताव रखा और राज्य इकाई को लगा कि ये वक्त का तकाजा है।
लेकिन कांग्रेस के साथ करीबी का विरोध कर रहे नेताओं का कहना है कि लेफ्ट और कांग्रेस के बीच विचारधारा का बुनियादी अंतर है जिसकी वजह से चुनावी तालमेल करना ठीक नहीं था। जहां कांग्रेस को उस गठजोड़ से कुछ फायदा हुआ वहीं सीपीएम की सीटें काफी कम हो गई।
पोलित ब्यूरो में बंगाल में सीपीएम की करारी हार और उसके कारणों पर ही मुख्य रूप से चर्चा होगी पोलित ब्यूरो के सदस्य हन्नान मुल्ला ने एनडीटीवी इंडिया से कहा, 'समय कम है इसलिये मुख्य रूप से चर्चा बंगाल पर ही केंद्रित रहेगी'।
पोलित ब्यूरो के कुछ सदस्य बंगाल में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की रणनीति से काफी नाराज हैं।
पोलित ब्यूरो के वरिष्ठ नेता ने एनडीटीवी इंडिया से कहा, 'फरवरी में सेंट्रल कमेटी ने कांग्रेस के साथ तालमेल बनाकर चुनाव लड़ने की रणनीति को खारिज कर दिया था। हम ये सवाल पूछना चाहेंगे कि आखिर कांग्रेस पार्टी के साथ गठजोड़ हुआ कैसे? '
पोलित ब्यूरो के कुछ सदस्य कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की रणनीति के लिये मुख्य रूप से सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। जो नेता कांग्रेस से हाथ मिलाने के खिलाफ थे उनमें पूर्व महासचिव प्रकाश करात, वृंदा करात, सुभाषिनी अली, एसआर पिल्लई शामिल हैं।
सीताराम येचुरी के साथ बंगाल के नेता हैं जिनमें वरिष्ठ पोलित ब्यूरो सदस्य विमान बोस, मोहम्मद सलीम और सूर्यकांत मिश्रा शामिल हैं। येचुरी खेमे का कहना है कि कांग्रेस के साथ बंगाल में कोई चुनावी गठजोड़ नहीं था। ममता बनर्जी के खिलाफ एक आपसी समझदारी थी जो ज़मीनी हालात को देखते हुये ज़रूरी लग रही थी क्योंकि लेफ्ट और कांग्रेस दोनों ही पक्ष के नेताओं पर टीएमसी कार्यकर्ताओं की ओर से लगातार हमले हो रहे थे। कांग्रेस ने इस तालमेल का प्रस्ताव रखा और राज्य इकाई को लगा कि ये वक्त का तकाजा है।
लेकिन कांग्रेस के साथ करीबी का विरोध कर रहे नेताओं का कहना है कि लेफ्ट और कांग्रेस के बीच विचारधारा का बुनियादी अंतर है जिसकी वजह से चुनावी तालमेल करना ठीक नहीं था। जहां कांग्रेस को उस गठजोड़ से कुछ फायदा हुआ वहीं सीपीएम की सीटें काफी कम हो गई।
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