
- बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए इंडिया गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर अभी तक अंतिम सहमति नहीं बनी है.
- सीपीआई एमएल को पिछली बार से अधिक सीटें मिली हैं, जबकि सीपीआई और कांग्रेस के बीच कुछ सीटों पर टकराव है.
- वीआईपी पार्टी आरजेडी से कम सीट मिलने पर नाराज थी, लेकिन नेतृत्व के समझाने के बाद विवाद खत्म हो गया है.
दो चरणों में हो रहे बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए नामांकन का आखिरी दिन आ चुका है, लेकिन अभी तक इंडिया गठबंधन में सीट बंटवारे की फाइनल तस्वीर सामने नहीं आई है. उल्टे कुछ सीटों पर गठबंधन के सहयोगी दलों में फ्रेंडली फाइट के आसार हैं. आपको बताते हैं कि इंडिया गठबंधन में कौन सी पार्टी कितनी सीटों पर लड़ सकती है और पूंछ कहां अटकी है?
CPI ML : 20 सीट (18 पुरानी + पिपरा, राजगीर)
सीपीआई एमएल को पिछली बार से एक सीट ज़्यादा मिली है. पार्टी की मांग कहीं ज्यादा थी, लेकिन गठबंधन के हित में व्यावहारिक रुख़ दिखाया. अब कोई विवाद नहीं है.
CPI : 6 (5 पुरानी + बांका)
सीटें पिछली बार की तरह ही छह सीट मिली हैं, लेकिन बेगूसराय की बछवाड़ा सीट पर सीपीआई के साथ ही कांग्रेस ने भी उम्मीदवार उतारा है. कांग्रेस ने उम्मीदवार वापस नहीं लिया तो सीपीआई बदले में कांग्रेस के दो–तीन उम्मीदवारों के ख़िलाफ़ उम्मीदवार उतारेगी. पहले चरण में नाम वापसी की आख़िरी तारीख 20 अक्टूबर है.
CPM : 4 (3 पुरानी + हायाघाट)
पहले भी चार सीटें ही थीं, संतुष्ट है.
VIP : 15
कम सीट देने को लेकर आरजेडी से नाराज है, लेकिन राहुल गांधी और दीपांकर भट्टाचार्य के समझाने के बाद माने. अब कोई विवाद नहीं है.
- कांग्रेस : 61 + 2 IIP?
- RJD: 133 + 2 JMM?
दोनों बड़े दलों में क़रीब पांच सीटों पर विवाद है. ताजा जानकारी है कि दरभंगा की जाले सीट पर कांग्रेस ने उम्मीदवार बदल कर आरजेडी नेता को सिंबल दिया है, लेकिन कहलगांव, लालगंज, बहादुरगंज, नरकटियागंज पर पेंच फंसा हुआ है. इन सीटों पर सहमति बनने के बाद ही सीटों का फाइनल आंकड़ा सामने आएगा. सहमति नहीं बनी तो सीपीआई की तरफ कुछ सीटों पर कांग्रेस–आरजेडी में फ्रेंडली फाइट हो सकती है. हालांकि, दोनों दल ऐसी स्थिति से बचना चाहते हैं.
सूत्रों के मुताबिक़ कांग्रेस आईपी गुप्ता की आईआईपी को दो और आरजेडी जेएमएम को दो सीटें देगी. पहले चरण की नाम वापसी बीस और दूसरे चरण की पच्चीस अक्टूबर तक है. बात नहीं बनी तो अंत तक खींचतान चल सकती है और इससे नुक़सान पूरे गठबंधन को उठाना पड़ सकता है.
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