देश में वैक्सीनेशन पॉलिसी में बदलाव लाने के केंद्र के फैसले का मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने मंगलवार को स्वागत किया था, लेकिन बुधवार को आई एक घोषणा ने कांग्रेस का मिजाज़ खराब कर दिया है. दरअसल, देश में कोरोना के खिलाफ कोविशील्ड वैक्सीन विकसित कर रही कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने बुधवार को एक घोषणा की है, जिसमें केंद्र, राज्यों और प्राइवेट अस्पतालों के लिए वैक्सीन की अलग-अलग कीमत तय की गई है.
कांग्रेस ने एतराज जताया है कि इससे राज्यों को वैक्सीन महंगी पड़ेगी, जबकि सरकार को केवल 150 रुपए में मिलेगी. इसे लेकर कांग्रेस के कई नेताओं ने ट्वीट कर सवाल उठाया है और वन नेशन, वन प्राइस की नीति की बात की है.
कांग्रेस की आपत्ति पर आला सरकारी सूत्र ने बताया है कि केंद्र राज्यों के बीच वैक्सीन के वितरण और खरीद को कैसे मैनेज कर रहा है. सूत्र ने बताया कि अभी तक राज्यों ने 13 करोड़ टीके लगाए हैं. कई और करोड़ टीके या तो स्टॉक में हैं या फिर रास्ते में हैं. यह सभी डोज केंद्र सरकार ने राज्यों को मुफ्त में दिए हैं.
सूत्र का कहना है कि 1 मई के बाद भी केंद्र सरकार अपने 50% कोटे से राज्यों को सारी वैक्सीन मुफ्त में देगी. दूसरे कोटे से राज्यों को सभी को वैक्सीन देने की सुविधा मिलती है. यह मांग राज्य कर रहे थे क्योंकि स्वास्थ्य राज्य का विषय है, इस तरह राज्य अपनी ओर से टीका दे सकते हैं, जबकि केंद्र अपने कोटे से सारी वैक्सीन मुफ्त में देगी. भारत सरकार केवल राज्य सरकारों के लिए ही वैक्सीन खरीदेगी.
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बता दें कि आज की घोषणा के मुताबिक, राज्य सरकारें अब कोविशील्ड वैक्सीन 400 रुपए प्रति डोज में खरीद पाएंगी, वहीं प्राइवेट अस्पतालों को इसके लिए 600 रुपए देने होंगे. इसके अलावा केंद्र सरकार को यह 150 रुपये प्रति डोज मिलती रहेगी. केंद्र सरकार दोनों वैक्सिन कोविशील्ड और कोवैक्सीन 157.50 रु/डोज के दाम पर खरीदती है.
सरकारी सूत्रों ने कांग्रेस के ऑक्सीजन निर्यात के दावों को भी खारिज किया है. कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि सरकार ने चेताए जाने के बावजूद पिछले कुछ महीनों में हजारों मीट्रिक टन ऑक्सीजन निर्यात किया है. हालांकि, सूत्रों का कहना है कि इसमें इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन को मेडिकल ऑक्सीजन समझा जा रहा है, जिसके चलते आंकड़ों में गलती है और आरोप गलत हैं. सूत्रों का कहना है कि अप्रैल, 2020-फरवरी, 2021 के बीच सरकार ने 9,884 मीट्रिक टन इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन निर्यात किया था और इस अवधि में बस 12 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन निर्यात किया गया था, जोकि भारत की सलाना उत्पादन क्षमता का 0.4 फीसदी है.
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