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This Article is From Oct 22, 2021

अरे ये क्या हुआ, दूसरी खुराक लिए बिना ही मिल गया दोनों वैक्सीन लगने का सर्टिफिकेट, जानें पूरा मामला

विजय कुमार काकड़े ने बताया कि उन्हें बुधवार को दूसरी खुराक लेने के लिए समय दिया गया था, लेकिन टीका लिए बिना ही उनके फोन पर एक संदेश आया, जिसमें लिखा था, ‘‘ आपको शाम 4 बजकर 17 मिनट पर ‘कोविशील्ड’ की दूसरी खुराक दे दी गई है.

अरे ये क्या हुआ, दूसरी खुराक लिए बिना ही मिल गया दोनों वैक्सीन लगने का सर्टिफिकेट, जानें पूरा मामला
लो दूसरी खुराक लिए बिना ही मिल गया दोनों डोज वाला सर्टिफिकेट, जानें पूरा मामला
मुंबई:

महाराष्ट्र (Maharashtra) के लातूर जिले (Latur) में एक व्यक्ति को कोविड-19 रोधी टीके की दूसरी खुराक लिए बिना ही पूर्ण टीकाकरण का प्रमाणपत्र मिलने का मामला सामने आया है. जिले की औसा तहसील के जवालगा गांव के निवासी विजयकुमार काकड़े (29) ने बताया कि उन्हें एक प्रमाणपत्र मिला है, जिसमें कहा गया है कि उन्होंने टीके की दूसरी खुराक ले ली है, जबकि उन्हें दूसरी खुराक अभी नहीं लग पाई है. वहीं स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि किसी मानवीय चूक के कारण ऐसा हुआ.

काकड़े ने बताया कि उन्हें बुधवार को दूसरी खुराक लेने के लिए समय दिया गया था, लेकिन टीका लिए बिना ही उनके फोन पर एक संदेश आया, जिसमें लिखा था कि आपको शाम 4 बजकर 17 मिनट पर ‘कोविशील्ड' की दूसरी खुराक दे दी गई है. आप अपना टीकाकरण प्रमाणपत्र ‘डाउनलोड' कर सकते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘ जब मैंने लिंक पर क्लिक किया, तो मुझे मेरा पूर्ण टीकाकरण का प्रमाणपत्र दिखा. उसमें लिखा था कि मैंने औसा के नाथ सभाग्रह में टीका लगवाया है, हालांकि सभाग्रह के प्रबंधन का कहना है कि बुधवार को वहां कोई टीकाकरण शिविर नहीं लगा था.''औसा के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अंगद जाधव से सम्पर्क करने पर उन्होंने कहा कि ऐसा ऑपरेटर द्वारा गलत फोन नंबर टाइप करने की वजह से हुआ .

बता दें कि देश में वैक्सीन का आंकड़ा 100 करोड़ पार होने का जश्न मनाया जा रहा है. आज भी पीएम मोदी ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि   21 अक्टूबर को भारत ने100 करोड़ वैक्सीन डोज़ का कठिन लेकिन असाधारण लक्ष्य प्राप्त किया है. इस उपलब्धि के पीछे 130 करोड़ देशवासियों की कर्तव्यशक्ति लगी है, इसलिए ये सफलता भारत की सफलता है, हर देशवासी की सफलता है. दुनिया के दूसरे बड़े देशों के लिए वैक्सीन पर रिसर्च करना और वैक्सीन खोजना आसान था, क्योंकि वे पहले से ही इसमें महारत हासिल किए हुए थे. भारत इन देशों की बनाई वैक्सीन्स पर ही निर्भर था. आज कई लोग भारत के वैक्सीनेशन प्रोग्राम की तुलना दुनिया के दूसरे देशों से कर रहे हैं. भारत ने जिस तेजी से 100 करोड़ का आंकड़ा पार किया, उसकी सराहना भी हो रही है.

पीएम मोदी ने साथ ही ये भी कहा कि सबको साथ लेकर देश ने ‘सबको वैक्सीन-मुफ़्त वैक्सीन' का अभियान शुरू किया. गरीब-अमीर, गांव-शहर, दूर-सुदूर, देश का एक ही मंत्र रहा कि अगर बीमारी भेदभाव नहीं करती तो वैक्सीन में भी भेदभाव नहीं हो सकता.  इसलिए ये सुनिश्चित किया गया कि वैक्सीनेशन अभियान पर VIP कल्चर हावी न हो. हमारे लिए लोकतंत्र का मतलब है-‘सबका साथ'. भारत का पूरा वैक्सीनेशन प्रोग्राम विज्ञान की कोख में जन्मा है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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