यह ख़बर 04 जुलाई, 2011 को प्रकाशित हुई थी

फर्जी मुठभेड़ : पीड़ित परिवारों को 15 लाख देने के निर्देश

खास बातें

  • फर्जी मुठभेड़ में दो व्यवसायियों की मौत के 14 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार गृह मंत्रालय से पीड़ित परिवारों को 15-15 लाख रुपये देने को कहा।
New Delhi:

फर्जी मुठभेड़ में दो व्यवसायियों की मौत के 14 साल बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय से पीड़ित परिवारों को 15-15 लाख रुपये का हर्जाना देने के लिए कहा। न्यायाधीश एस. मुरलीधर ने अपने फैसले में कहा, "दोनों परिवारों को 15-15 लाख रुपये दिए जाएंगे। मुआवजे की राशि का मारे गए व्यवसायी की विधवा और उनके बच्चों के बीच समान रूप से वितरण किया जाएगा।" न्यायाधीश मुरलीधर के अनुसार, चूंकि दिल्ली पुलिस केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन है, इसलिए हर्जाना उसके द्वारा ही दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "मुठभेड़ कनाट प्लेस में हुई, जो दिल्ली सरकार के क्षेत्राधिकार में है, लेकिन दिल्ली पुलिस केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन है और इसलिए मुआवजे की रकम का वहन मंत्रालय द्वारा ही किया जाएगा।" गौरतलब है कि 31 मार्च, 1997 को व्यवसायी प्रदीप गोयल और जगजीत सिंह को तत्कालीन सहायक पुलिस उपायुक्त (अब निलम्बित) एसएस राठी और नौ अन्य पुलिसकर्मियों ने कनाट प्लेस में गोली मार दी थी। उन्होंने उनके अपराधी होने का दावा किया था।इस बीच, यह मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया गया, जिसने सभी 10 पुलिस कर्मियों पर हत्या का अभियोग लगाया और कहा कि पुलिसकर्मियों ने पदोन्नति पाने के लिए मारे गए व्यवसायियों को गैंगस्टर बताया। उस वक्त राठी दिल्ली पुलिस के मुठभेड़ विशेषज्ञ माने जाते थे। सीबीआई ने राठी पर खुद को निर्दोष बताने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को गलत सूचना देने का आरोप भी लगाया।


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