क्या एम्स में भ्रष्टाचार के मामलों की जांच में हो रही कथित ढिलाई में स्वास्थ्य जेपी नड्डा का कोई रोल है? इस पर एक बार फिर सवाल खड़ा हुआ है। दिल्ली हाइकोर्ट ने सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन यानी सीपीआईएल की याचिका पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर करने वाले एम्स के पूर्व सीवीओ संजीव चतुर्वेदी को नोटिस जारी किया है।
दोनों ही लोगों को इस नोटिस का जवाब व्यक्तिगत तौर पर देना है। एम्स के सीवीओ रहते संजीव चतुर्वेदी ने भ्रष्टाचार के कई मामलों को उजागर किया इनमें से 37 बड़े मामलों का ज़िक्र हाइकोर्ट में दायर याचिका में किया गया।
इन मामलों में एम्स के डायरेक्टर, डिप्टी डायरेक्टर एडमिनिस्ट्रेशन और रजिस्ट्रार समेत कई बड़े अधिकारी जांच के घेरे में हैं।
इसी दौर में जेपी नड्डा, संजीव चतुर्वेदी को एम्स के सीवीओ पद से हटाने और इन सारी जांच को बंद करने के लिए उस वक्त के स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को चिट्ठी लिखते रहे। जिस पर एनडीटीवी इंडिया ने तफ्सील से ख़बर दिखाई थी।
पिछले साल चतुर्वेदी को सीवीओ पद से हटा दिया गया और कुछ वक्त बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जेपी नड्डा को ही स्वास्थ्य मंत्री बना दिया जिससे काफी बवाल खड़ा हो गया था।
सीपीएम नेता मोहम्मद सलीम ने आज कोर्ट की ओर से जारी किए गए नोटिस के बाद कहा, 'एम्स में भ्रष्टाचार के मामलों और उनकी जांच में डाली गई रुकावट की मोदी सरकार ने अनदेखी की। उन्होंने दोषी व्यक्ति को ही मुंसिफ बना दिया। नड्डा साहब का स्वास्थ्य मंत्री बनना पूरी तरह गलत था। इस मामले की पूरी जांच होनी चाहिए।'
अब सीपीआईएल ने अपनी याचिका में मांग की है कि
1) - कोर्ट सुनिश्चित करे कि स्वास्थ्य मंत्री नड्डा एम्स में भ्रष्टाचार के मामलों की जांच में अपने अधिकार का प्रयोग न कर पायें।
2)- सारे 37 बड़े मामलों की जांच हाईकोर्ट की निगरानी में हो और स्टेटस रिपोर्ट मांगी जाए।
3)- संसदीय समिति की ओर से की गई सिफारिश के बाद इस मामले में नड्डा के रोल के बारे में सीबीआई जांच हो।
इस मामले में हाइकोर्ट ने नड्डा और चतुर्वेदी के अलावा स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव और मुख्य सतर्कता अधिकारी के अलावा एम्स के निदेशक, सीवीसी के सचिव और सीबीआई निदेशक को भी इस मामले में जवाब देने को कहा गया है।
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