Covid-19 Pandemic: भारतीय जनता पार्टी (BJP) महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने आरोप लगाया है कि कोविड-19 से उत्पन्न संकट के दौरान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) तृणमूल कांग्रेस शासित इस सूबे के प्रवासी श्रमिकों के प्रति "गैर जिम्मेदाराना रवैया" अपना रही हैं. प्रवासी श्रमिकों को केंद्र द्वारा 10-10 हजार रुपये दिये जाने की ममता की अपील पर विजयवर्गीय ने सवाल किया कि खुद ममता बनर्जी सरकार श्रमिकों को राज्य के खजाने से आर्थिक सहायता मुहैया क्यों नहीं करा रही है? गौरतलब है कि ममता ने केंद्र सरकार से आज ही अपील की है कि वह कोविड-19 संकट के मद्देनजर प्रवासी श्रमिकों को 10-10 हजार रुपये की मदद दे.
ममता की इस मांग पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विजयवर्गीय ने यहां संवाददाताओं से कहा, "पश्चिम बंगाल में बनर्जी बतौर मुख्यमंत्री खुद सत्ता में हैं. वह वहां प्रतिपक्ष में नहीं हैं. उनकी सरकार अपने खजाने से प्रवासी श्रमिकों को आर्थिक सहायता क्यों नहीं देती?" कैलाश विजयवर्गीय, भाजपा संगठन में पश्चिम बंगाल के प्रभारी हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि देशभर में बनर्जी ऐसी "इकलौती मुख्यमंत्री" हैं जो अपने ही प्रदेश के प्रवासी श्रमिकों के प्रति "गैर जिम्मेदार" हैं और उन्होंने इन श्रमिकों की कोई चिंता नहीं की है. भाजपा महासचिव ने कहा, "लॉकडाउन के दौरान मध्यप्रदेश में फंसे करीब 20,000 प्रवासी श्रमिक अपने गृह राज्य पश्चिम बंगाल लौटना चाहते थे. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बनर्जी को बाकायदा पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि उनकी सरकार मध्यप्रदेश से प्रवासी श्रमिकों को ट्रेन से पश्चिम बंगाल भिजवाने की अनुमति दे. लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार ने इसकी मंजूरी नहीं दी."
विजयवर्गीय के मुताबिक पश्चिम बंगाल सरकार के कथित असहयोग के बाद मध्यप्रदेश सरकार ने रेलवे के खजाने में खुद धन जमा कराया और प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह राज्य भिजवाने के लिये तीन विशेष ट्रेनें बुक करायीं. भाजपा महासचिव ने दावा किया कि इन प्रवासी श्रमिकों ने विशेष ट्रेन के जरिये मध्यप्रदेश से पश्चिम बंगाल रवाना होते वक्त बनर्जी के खिलाफ नारे लगाये, जबकि चौहान के पक्ष में नारेबाजी की. विजयवर्गीय ने बनर्जी पर वोट बैंक आधारित फैसले करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने "सिर्फ अल्पसंख्यकों के दबाव में" पश्चिम बंगाल में सोमवार से सभी धार्मिक स्थल दोबारा खोलने की घोषणा कर दी थी. लेकिन इमामों के एक संगठन के साथ ही रामकृष्ण मिशन और दक्षिणेश्वर काली मंदिर के प्रतिनिधियों ने कोविड-19 के प्रकोप के चलते इन्हें श्रद्धालुओं के लिये तुरंत खोलने से इंकार कर दिया. उन्होंने कोविड-19 से निपटने के लिये केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लगाए गए लॉकडाउन को सफल बताते हुए कहा, "अमेरिका और इटली की तरह हमारे भारत देश में स्वास्थ्य क्षेत्र का बड़ा बुनियादी ढांचा नहीं है. लेकिन हमारे देश में इस महामारी से हुआ नुकसान दोनों विकसित मुल्कों के मुकाबले काफी कम है."
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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