कोरोना वायरस (Coronavirus) संकट के बीच एक और बुरी खबर...सरकार की घटती कमाई की गाज लोगों की बचत पर गिरी है. छोटी बचत और टर्म डिपॉज़िट पर ब्याज दर घटा दी गई है. बुज़ुर्गों को इसका सबसे ज़्यादा नुक़सान होगा. मज़दूर संगठनों ने इस फैसले के रोलबैक की मांग की है.
कोरोना का असर आपकी बचत योजनाओं पर भी पड़ा है. पहले से घटाई जा रही ब्याज़ दरें और घटा दी गई हैं. वित्त मंत्रालय ने सीनियर सिटीजन्स सेविंग्स स्कीम पर ब्याज दर 8.6% से घटाकर 7.4% कर दी है. पब्लिक प्रोविडेंट फंड यानी PPF पर ब्याज दर 7.9% से घटाकर 7.1% कर दी गई है. नेशनल सेविंग्स स्कीम पर ब्याज दर 7.9% से घटाकर 6.8 % कर दी है. सुकन्या समृद्धि योजना पर ब्याज दर 8.4 % से घटकर 7.6 % रह गई है. 5 साल के सामान्य डिपाजिट पर ब्याज 7.7 % की जगह 6.7 % मिलेगा.
इंडियन चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ़ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष वेद जैन ने कहा कि सीनियर सिटीजंस के लिए ब्याज से होने वाली कमाई एकमात्र जरिया होता है रोज़ी रोटी का. 40 लाख की सेविंग्स वाले सीनियर सिटीजन की ब्याज से 50000 रुपये की कमाई साल में कम होगी.
बुधवार को वित्त मंत्रालय ने मार्च 2020 के जो जीएसटी कलेक्शन के आंकड़े जारी किए, वो दिखाते हैं कि सरकार की कमाई एक महीने में घटी है. मार्च 2020 में जीएसटी कलेक्शन 97,597 करोड़ रहा. फरवरी 2020 में जीएसटी कलेक्शन 1,05,366 करोड़ था. यानी एक महीने में 7769 करोड़ की कमी आई.
इस बीच श्रम संगठन सेंटर ऑफ़ इंडियन ट्रेड यूनियंस यानी सीटू ने एक बयान जारी करके ब्याज दरों में कटौती का विरोध किया है. सीटू ने कहा है इससे रिटायर्ड कामगारों की मुश्किलें बढ़ेंगी क्योंकि ब्याज से होने वाली कमाई ही उनके जीने का एकमात्र जरिया होता है. श्रम संगठन ने मांग की है कि वित्त मंत्रालय ये फैसला वापस ले. लेकिन ऐसे समय पर जब अर्थव्यवस्था कमज़ोर पड़ती जा रही है और सरकार का राजस्व कलेक्शन घटता जा रहा है, क्या वित्त मंत्री आम लोगों को ये राहत दे पाएंगी?
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