
कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ने के बाद से ही बाज़ार में हैंड सैनिटाइज़र की मांग बढ़ गई है और ऐसे में कई जगहों पर लोग नकली सैनिटाइजर भी बेच रहे हैं. इससे लोगों की सेहत को नुकसान पहुंच सकता है. मार्च में कोरोना संक्रमण की खबरें आने के बाद से ही भारत सहित दुनिया भर में कोरोना वायरस से बचने के लिए हैंड सैनिटाइज़र का इस्तेमाल किया जाने लगा. बाज़ार में इसकी मांग इतनी बढ़ी कि कई जगहों पर लोग नकली या खराब क्वालिटी का सैनिटाइजर बेचने लगे हैं जो कि स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हो सकता है.
एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में 2019 में सैनिटाइजर की कुल मार्केट वैल्यू एक अरब डॉलर थी जो 2020 में बढ़कर छह अरब डॉलर की हो गई है. इसके कारण लोग अब नकली सैनिटाइज़र बेच रहे हैं.
बाजार में कई किस्म के सैनिटाइजर मौजूद हैं और उनके दामों में भी बड़ा अंतर है. ऐसे में आखिर कोई कैसे सही और गलत सैनिटाइजर के बारे में पता कर सकता है? कारोबार से जुड़े लोग असली और नकली के बीच का अंतर बता देते हैं. आरवी इंटरप्राइजेज के डायरेक्टर राजाराम शंकर ने बताया कि ''जब भी हम सैनिटाइजर का उपयोग करते हैं, वो fda aproved सैनिटाइजर होना चाहिए. उसमें कम से कम 60 फीसदी की मात्रा में अल्कोहल मौजूद है. साथ ही यह भी देखना चाहिए कि सरकार की ओर से जारी सभी नियमों का पालन उस कंपनी की ओर से किया जा रहा है?''
अगली बार आप जब भी सैनिटाइजर लेने जाएं तो इस बात का ध्यान रखें कि न केवल उस पर fda की मान्यता हो, बल्कि लाइसेंस नंबर और दूसरी जानकारी भी मौजूद हो.
संक्रमण के इस दौर में हर कोई सैनिटाइज़र लेने की दौड़ में है पर इसके निर्माताओं का कहना है कि ज़्यादा ज़रूरत उन्हें ही है जो बाहर जाते हैं और जिन्हें संक्रमण का खतरा ज़्यादा होता है. आरवी एंटरप्राइजेस के डायरेक्टर शिवा रामास्वामी कहते हैं कि ''जो लोग घर पर हैं, उन्हें साबुन और पानी का इस्तेमाल करना चाहिए. जो बाहर जा रहे हैं, एसेंशियल सर्विस से जुड़े हुए हैं, उन्हें सैनिटाइजर का इस्तेमाल करने देना चाहिए क्योंकि अब भी ऐसे हालात नहीं हैं कि पूरे देश के लोगों को एक-एक लीटर सैनिटाइजर बनाकर दे सकें.''
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