कोरोना वायरस (Coronavirus) के लिए जंग लड़ रहे डॉक्टरों, मेडिकल वर्करों से लेकर आशा वर्करों तक को ज़रूरी सुरक्षा मुहैया कराने के लिए कैबिनेट ने एक नया अध्यादेश लाने का फैसला किया है. अध्यादेश में मेडिकल स्टाफ पर हमला करने के गंभीर मामलों में छह महीने से लेकर सात साल तक की सजा और पांच लाख तक के जुर्माने का प्रावधान है.
इंदौर में मेडिकल वर्करों पर हुए हमले ने सबको झकझोर कर रख दिया. अब इस तरह के हमलों के दोषियों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई के लिए कैबिनेट ने अध्यादेश को मंज़ूरी दे दी है. यह तय किया गया है कि कोरोना वायरस के खिलाफ फ्रंटलाइन पर जंग लड़ रहे देश के मेडिकल स्टाफ के लाखों लोगों की सुरक्षा के लिए अध्यादेश के तहत मेडिकल स्टाफ के खिलाफ गंभीर हमलों को संज्ञेयनीय माना जाएगा. यानी दोषियों के खिलाफ पुलिस बिना कोर्ट की इजाजत के कार्रवाई कर सकती है. दोषियों को जमानत नहीं मिल पाएगी. गंभीर अपराध के दोषियों को छह महीने से सात साल तक की सजा का प्रावधान है और उन पर एक लाख से पांच लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. हमले के दौरान डॉक्टरों या हॉस्पिटल की प्रॉपर्टी को हुए नुकसान की भरपाई दोषियों से वसूली जाएगी.
सरकार की तैयारी अध्यादेश के ज़रिए 123 साल पुराने कानून में संशोधन करने की है. सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावेड़कर ने कहा कि ''मेडिकल वर्करों के प्रोटेक्शन के लिए कैबिनेट ने आर्डिनेंस जारी करने का फैसला किया है. एपेडमिल डिसीज एक्ट 1897 में एमेंडमेंट को कैबिनेट ने एप्रूव किया है.''
साथ ही कैबिनेट ने कोरोना वायरस के खिलाफ जंग को मज़बूत करने के लिए इंडिया कोविड-19 इमरजेंसी रिस्पांस पैकेज के लिए 15000 करोड़ की राशि के आवंटन को एक्स-पोस्ट फैकटो मंज़ूरी भी दे दी.
सूचना प्रसारण मंत्री से जब पूछा गया कि क्या सरकार सभी सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को मिलने वाले महंगाई भत्ते को 2020 में स्थगित करने पर विचार कर रही है तो उन्होंने इस पर सधी हुई प्रतिक्रिया दी. प्रकाश जावेड़कर ने कहा कि ''जैसे-जैसे निर्णय होंगे, हम आपको बताते जाएंगे.''
कैबिनेट ने खरीफ सीजन से ठीक पहले फॉस्फेटिक और पोटासिक फर्टिलाइज़रों पर सब्सिडी में पांच फीसदी से सात फीसदी तक की बढ़ोतरी का भी फैसला किया है.
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