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This Article is From Apr 20, 2021

ऑक्सीजन के साथ-साथ कोविड की दवाईयों और ऑक्सीमीटर की भी किल्लत

कोरोना वायरस का टेस्ट कराने के लिए दर-दर भटक रहे हैं लोग, रिपोर्ट आने में पांच से सात दिन लग रहे

ऑक्सीजन के साथ-साथ कोविड की दवाईयों और ऑक्सीमीटर की भी किल्लत
प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

Delhi NCR Coronavirus: कोविड संक्रमण के चलते अस्पताल में बेड और ऑक्सीजन की कमी तो देखी ही जा रही है अब कोविड टेस्ट और उससे जुड़ी दवाइयां और ऑक्सीमीटर भी मेडीकल स्टोर्स से गायब हो रहे हैं. लोग कोविड टेस्ट के लिए दर-दर भटक रहे हैं. दिल्ली से सटे गाजियाबाद के पॉश इलाके इंदिरापुरम में कोविड टेस्ट कराने वालों की कतार सुबह छह बजे से लगनी शुरू हो जाती है. दिन बढ़ने के साथ ही यह कतार लंबी होने लगती है. सड़क के दोनों तरफ हैरान परेशान लोगों की इस भीड़ में जो लोग घंटों खड़े नहीं रह सकते हैं वे बीच-बीच में बैठ जाते हैं. लेकिन सरकार की मदद से चलने वाले इस कोविड सेंटर में रोज टेस्ट दो सौ होते हैं और लोग इससे कहीं ज्यादा हैं. यही वजह है कि टेस्ट के लिए दिल्ली से लेकर यूपी तक में मारा मारी मची है.

एक व्यक्ति ने कहा कि ''दो दिन से आता हूं लौट जाता हूं क्योंकि यहां 172 लोगों का ही टेस्ट हो रहा है.'' एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि ''सुबह छह बजे से आते हैं अभी नंबर नहीं आया है प्राइवेट वाले कर नहीं रहे हैं. बोल रहे हैं 28-29 को होगा.'' 

लोगों की इस शिकायत पर हमने एक प्राइवेट लैब को फोन किया और पूछा कि ये बताइए कि निजी लैब में कोविड का टेस्ट नहीं हो रहा है? इस पर लैब एक्जीक्यूटिव ने कहा कि ''नहीं हो रहा है, केजरीवाल ने मना किया है.'' जब उनसे पूछा कि तब आम आदमी कहां जाएगा टेस्ट कराने? तो उन्होंने कहा ''सरकारी अस्पताल में कराइए.'' उनसे सवाल किया कि गाजियाबाद में निजी लैब कर रहे हैं? तो उन्होंने कहा कि ''नहीं यहां भी नहीं हो रहा है, कोई नहीं कर रहा है.''

सूत्रों के मुताबिक यूपी में कोविड टेस्ट की रिपोर्ट आने में पांच से सात दिन लग रहे हैं इसी के चलते निजी लैब कोविड टेस्ट करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. कोविड टेस्ट के निजी लैब वाले नौ सौ से पंद्रह सत्रह सौ रुपये मांग रहे हैं साथ ही रिपोर्ट देने में सात दिन लगा रहे हैं.

सिर्फ कोविड टेस्ट कराने में ही परेशानी नहीं है बल्कि कोविड संक्रमित रोगी के इस्तेमाल में होने वाली दवा फेबीफ्लू, ऑक्सीमीटर और नेंबुलाइजर जैसी चीजें भी बाजार से गायब हो रही हैं. वैशाली में मेडीकल स्टोरी चलाने वाले केके जैन कहते हैं कि जो ऑक्सीमीटर एक हजार रुपये का था उसके दाम दो से ढाई हजार रुपये हो गए हैं. उन्होंने बताया कि फैबीफ्लू पूरे मार्केट में नहीं है. पैरासिटामाल तक की कमी हो रही है. 

जानकार कहते हैं कि करोना संक्रमण एकाएक फैलने से मांग एकाएक बढ़ गई और सप्लाई कम है. आजकल कोरोना से जुड़ी हर जगह पर लंबी कतार है. अस्पताल में बेड का लोग इतंजार कर रहे हैं, करोना टेस्ट के लिए कतार में खड़े होकर इंतजार कर रहे हैं और मेडीकल स्टोर्स पर दवा के लिए लोग इंतजार कर रहे हैं. सरकार को इस चुनौती से निपटने में खासी मुश्किल हो रही है.

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