मुंबई:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मेट्रो के नए रूट के भूमिपूजन के बाद से इसके निर्माण से जुड़े विवाद फिर उठ खड़े हुए हैं। राज्य सरकार ने पहले मुंबई के ग्रीन कवर आरे में कार शेड बनाने की सोची, फिर विरोध के बाद कंजुरमार्ग ले गई, लेकिन समस्या वहां भी पर्यावरण की ही है।
एक्सपर्ट कमेटी ने चुनी कंजुरमार्ग की जमीन
आरे के बाद मेट्रो कार शेड बनाने के लिए मध्य मुंबई के उपनगर कंजुरमार्ग की जमीन को चुना गया। आरे में कार शेड बनाने विरोध हुआ तो सरकार ने एक्सपर्ट कमेटी बैठा दी और विकल्प ढूंढने को कहा। उसने कंजुर्मार्ग की जमीन को चुना।
कार शेड बना तो बचे मैंग्रोवस भी नष्ट हो जाएंगे: पर्यावरण विशेषज्ञ
पर्यावरण विशेषज्ञ, देबी गोयनका ने कहा कि कंजुरमार्ग में वैसे भी अलग-अलग प्रोजेक्ट्स के चलते मैंग्रोव्स को नुकसान पुहंचाया गया है और अगर यह कार शेड यहां बनता है तो बचे हुए मैंग्रोवस भी नष्ट हो जाएंगे। हालांकि कुछ पर्यावरण विशेषज्ञ अलग राय भी रखते हैं। पर्यावरण विशेषज्ञ, स्टालिन दयानंद का कहना है कि अगर सोच- समझकर जमीन के सही हिस्से का प्रयोग करते हुए कार शेड कंजुरमार्ग में बनाया जाए तो पर्यावरण को ज्यादा नुकसान नहीं होगा।
पहले से विवादों में घिरी है जमीन
मसला सिर्फ यही नहीं है। जिस जगह को आरे के विवाद को रोकने के लिए चुना गया है, वह जगह खुद ही विवादों में घिरी है। जमीन तो एक ही है, लेकिन इसके मालिक कई हैं और यह मामला कोर्ट में है। हालांकि आरे की जगह कंजुरमार्ग को चुनने के परिणाम स्वरूप कई बदलाव भी होंगे। कार शेड की जगह बदली तो खर्च का गणित भी बदलेगा। मेट्रो लाइन करीब 7 किलोमीटर बढ़ानी होगी और इसका खर्च होगा 2000 करोड़ रुपये। अगर वक्त रहते कार शेड नहीं बना तो ये मेट्रो लाइन भी लटकी रहेगी।
जवाब से बचने की कोशिश करता MMRDA
हमने मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण से बात करने की कोशिश की और जवाब मिला कि मुख्यमंत्री की ओर से जब तक आधिकारिक पत्र नहीं मिलेगा, इस पर कोई टिप्पणी नहीं की जाएगी। इन सारी अड़चनों के बीच सरकार अगर तय वक़्त में कंजुर्मार्ग में कार शेड का काम शुरू करती है, तभी यहां कार शेड बनेगा। वरना सरकार कोर्ट की आड़ लेकर फिर से आरे का रुख कर सकती है।
एक्सपर्ट कमेटी ने चुनी कंजुरमार्ग की जमीन
आरे के बाद मेट्रो कार शेड बनाने के लिए मध्य मुंबई के उपनगर कंजुरमार्ग की जमीन को चुना गया। आरे में कार शेड बनाने विरोध हुआ तो सरकार ने एक्सपर्ट कमेटी बैठा दी और विकल्प ढूंढने को कहा। उसने कंजुर्मार्ग की जमीन को चुना।
कार शेड बना तो बचे मैंग्रोवस भी नष्ट हो जाएंगे: पर्यावरण विशेषज्ञ
पर्यावरण विशेषज्ञ, देबी गोयनका ने कहा कि कंजुरमार्ग में वैसे भी अलग-अलग प्रोजेक्ट्स के चलते मैंग्रोव्स को नुकसान पुहंचाया गया है और अगर यह कार शेड यहां बनता है तो बचे हुए मैंग्रोवस भी नष्ट हो जाएंगे। हालांकि कुछ पर्यावरण विशेषज्ञ अलग राय भी रखते हैं। पर्यावरण विशेषज्ञ, स्टालिन दयानंद का कहना है कि अगर सोच- समझकर जमीन के सही हिस्से का प्रयोग करते हुए कार शेड कंजुरमार्ग में बनाया जाए तो पर्यावरण को ज्यादा नुकसान नहीं होगा।
पहले से विवादों में घिरी है जमीन
मसला सिर्फ यही नहीं है। जिस जगह को आरे के विवाद को रोकने के लिए चुना गया है, वह जगह खुद ही विवादों में घिरी है। जमीन तो एक ही है, लेकिन इसके मालिक कई हैं और यह मामला कोर्ट में है। हालांकि आरे की जगह कंजुरमार्ग को चुनने के परिणाम स्वरूप कई बदलाव भी होंगे। कार शेड की जगह बदली तो खर्च का गणित भी बदलेगा। मेट्रो लाइन करीब 7 किलोमीटर बढ़ानी होगी और इसका खर्च होगा 2000 करोड़ रुपये। अगर वक्त रहते कार शेड नहीं बना तो ये मेट्रो लाइन भी लटकी रहेगी।
जवाब से बचने की कोशिश करता MMRDA
हमने मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण से बात करने की कोशिश की और जवाब मिला कि मुख्यमंत्री की ओर से जब तक आधिकारिक पत्र नहीं मिलेगा, इस पर कोई टिप्पणी नहीं की जाएगी। इन सारी अड़चनों के बीच सरकार अगर तय वक़्त में कंजुर्मार्ग में कार शेड का काम शुरू करती है, तभी यहां कार शेड बनेगा। वरना सरकार कोर्ट की आड़ लेकर फिर से आरे का रुख कर सकती है।
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