विज्ञापन
Story ProgressBack
This Article is From Nov 09, 2021

आधी रात को CBI में तख्ता पलट क्यों किया गया : राफेल मामले पर कांग्रेस का मोदी सरकार से सवाल

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार द्वारा राफेल मामले पर ऑपरेशन कवर अप चल रहा है. पूरे मामले को रफादफा करने की कोशिश हो रही है. 2018 में इसी मामले को दबाने के लिए CBI में तख्ता पलट किया गया. हमारा सवाल है कि आधी रात को ये तख्ता पलट क्यों किया गया?

Read Time: 6 mins
आधी रात को CBI में तख्ता पलट क्यों किया गया : राफेल मामले पर कांग्रेस का मोदी सरकार से सवाल
राफेल मामले को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार को घेरा
नई दिल्ली:

कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा (Pawan Khera) ने राफेल (Rafale Deal) मामले पर मोदी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा राफेल मामले पर ऑपरेशन कवर अप चल रहा है. पूरे मामले को रफादफा करने की कोशिश हो रही है. 2018 में इसी मामले को दबाने के लिए CBI में तख्ता पलट किया गया. हमारा सवाल है कि आधी रात को ये तख्ता पलट क्यों किया गया? 36 महीने बाद ये मामला क्यों सामने आया? 11 अक्टूबर 2018 को मॉरीशस की सरकार ने अटॉर्नी जनरल के जरिए राफेल खरीद से जुड़े कमीशन के भुगतान के दस्तावेज CBI को दिए थे. 23 अक्टूबर को पीएम की अध्यक्षता वाली समिति ने CBI निदेशक आलोक वर्मा को आधी रात को हटा दिया, जो कि राफेल घोटाले को दफनाने की साजिश थी.

राफेल सौदे में नया खुलासा : रिपोर्ट में दावा, 'CBI ने घूस दिए जाने की जांच नहीं करने का किया फैसला'

राफेल सबसे बड़ा रक्षा घोटाला
राफेल घोटाला तथाकथित ₹60-₹80 करोड़ का कमीशन भुगतान नहीं है. यह सबसे बड़ा रक्षा घोटाला है और केवल एक स्वतंत्र जांच ही घोटाले का खुलासा करने में सक्षम है. कांग्रेस- यूपीए सरकार ने अंतरराष्ट्रीय टेंडर के बाद 526.10 करोड़ रुपये में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सहित एक राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए बातचीत की थी. मोदी सरकार ने वही राफेल लड़ाकू विमान (बिना किसी निविदा के) ₹1670 करोड़ में खरीदा और भारत को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के बिना 36 जेट की लागत में अंतर लगभग ₹41,205 करोड़ है. क्या मोदी सरकार जवाब देगी कि हम भारत में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के बिना उन्हीं 36 विमानों के लिए ₹41,205 करोड़ अतिरिक्त क्यों दे रहे हैं? किसने पैसा कमाया और कितनी रिश्वत दी? जब 126 विमानों का लाइव अंतरराष्ट्रीय टेंडर था तो पीएम एकतरफा 36 विमान 'ऑफ द शेल्फ' कैसे खरीद सकते थे? 

ये चार सवाल पूछना जरूरी

  • उन्होंने भारतीय वायु सेना से परामर्श किए बिना राफेल विमानों की संख्या को 126 से घटाकर 36 कैसे व क्यो कर दिया? 
  • उन्होंने भारत को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और एचएएल द्वारा राफेल के निर्माण से इनकार क्यों किया? 
  • उन्होंने भ्रष्टाचार विरोधी खंड को क्यों निरस्त कर दिया जो रक्षा खरीद प्रक्रिया के अनुसार किसी भी निविदा के लिए एक पूर्व-आवश्यकता है और यूपीए द्वारा जारी निविदा का हिस्सा था? 
  • राफेल घोटाले में अपनी भूमिका की जांच के आदेश न देकर उन्होंने सुशेन गुप्ता की रक्षा क्यों की?

फ्रेंच न्यूज पोर्टल ने किए हैं चौंकाने वाले खुलासे
फ्रेंच न्यूज पोर्टल/एजेंसी - मिडियापार्ट.एफआर ने चौंकाने वाले खुलासे के ताजा सेट में उजागर किया है कि कैसे बिचौलिए सुशेन गुप्ता ने 2015 में भारत के रक्षा मंत्रालय से भारतीय वार्ता दल (आईएनटी) से संबंधित गोपनीय दस्तावेजों को भारत के रुख का विवरण देते हुए पकड़ा था. वार्ताकारों से बातचीत के अंतिम चरण के दौरान और विशेष रूप से उन्होंने विमान की कीमत की गणना कैसे की. इससे डसॉल्ट एविएशन (राफेल) को साफ और सीधे तौर पर फायदा हुआ.

पीएम मोदी ने 'भ्रष्टाचार विरोधी खंड' यानी "कोई रिश्वत नहीं, कोई उपहार नहीं, कोई प्रभाव नहीं, कोई कमीशन नहीं, कोई बिचौलिया नहीं" को निरस्त कर दिया, जो 'रक्षा खरीद प्रक्रिया' के अनुसार रक्षा अनुबंधों में अनिवार्य नीति है, क्या यह सही नहीं है कि 'भ्रष्टाचार विरोधी खंड' यूपीए द्वारा 126 लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए जारी निविदा का हिस्सा थे? क्या राफेल सौदे में रिश्वत और कमीशन की जिम्मेदारी से बचने के लिए 'भ्रष्टाचार विरोधी खंड' हटा दिए गए थे?  जुलाई 2015 में अंतर-सरकारी समझौते में रक्षा मंत्रालय के जोर देने के बावजूद, सितंबर 2016 में प्रधानमंत्री और मोदी सरकार द्वारा 'भ्रष्टाचार विरोधी खंड' को हटाने की मंजूरी क्यों दी गई थी? क्या यही कारण है कि सीबीआई-ईडी ने 11 अक्टूबर 2018 से आज तक राफेल सौदे में भ्रष्टाचार की जांच से इनकार कर दिया?

बता दें कि सोमवार को भी कांग्रेस पार्टी ने भ्रष्‍टाचार के मुद्दे पर पीएम नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर दोहरा मापदंड अपनाने और देश को भ्रम में रखने का आरोप लगाया था. पार्टी के प्रवक्‍ता गौरव वल्‍लभ ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में कहा था कि पीएम ने इटली की कम्पनी अगस्ता वेस्टलैंड को लेकर कहा था कि यह भष्ट्राचारी कम्पनी है. उसके बाद मोदी सरकार ने मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत इस कम्पनी को हिस्सा लेने की अनुमति दी. अब मोदी सरकार ने इस कम्पनी से सभी प्रतिबंध हटा दिए हैं. गौरव वल्‍लभ ने कहा, 'पीएम मोदी अभी इटली गए थे. वहां  एक बैठक में अगस्ता वेस्टलैंड कम्पनी को लेकर चर्चा हुई. इस बैठक में अजित डोवाल और विदेश मंत्री जयशंकर भी शामिल हुए थे. पीएम के भारत आने के तुरंत इस कम्पनी पर लगे सभी प्रतिबंध हटा दिए गए.

कांग्रेस प्रवक्‍ता ने सवाल किया था कि प्रधानमंत्री जी देश को बताएं कि अब यह कंपनी भ्रष्ट है या नहीं? क्या मोदी झूठ बोलने के लिए माफी मांगेंगे? कांग्रेस सरकार ने इस कंपनी के खिलाफ ने जो जांच शुरू करवाई थी क्या वो जारी रहेगी या बन्द कर दी जाएगी. हम पूछना चाहते हैं कि इस सीक्रेट डील में क्‍या बात हुई, देश यह जानना चाहता है. ' उन्‍होंने कहा, 'हमने पहले कहा था-चोर मचाए शोर. आज यह साबित हो गया.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com
;