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This Article is From Jan 30, 2014

उत्तराखंड में मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को बदलने की तैयारी

नई दिल्ली:

विजय बहुगुणा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद से हटते दिख रहे हैं और उनकी जगह केन्द्रीय मंत्री हरीश रावत और प्रदेश के मंत्री प्रीतम सिंह दौड में सबसे आगे उभरकर आ रहे हैं।

कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि केन्द्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद तथा कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी और अंबिका सोनी, जो राज्य में पार्टी मामलों की प्रभारी हैं, को केन्द्रीय पर्यवेक्षकों के रूप में भेजा जा रहा है।

पर्यवेक्षक एक या दो दिन में वहां जाएंगे और 2 फरवरी तक मुख्यमंत्री पद पर किसी को बैठाने की तैयारी हो सकती है।

सूत्रों ने कहा कि बहुगुणा को हटाने का फैसला किया जा चुका है। रावत और प्रीतम सिंह दौड़ में सबसे आगे हैं। दौड़ में राज्य की वित्तमंत्री इन्दिरा हृदयेश भी हैं।

बहुगुणा को हटाने का फैसला पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की कल कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक के बाद किया गया। खबर है कि मुख्यमंत्री के भविष्य को लेकर अंतिम फैसला सप्ताह भर के भीतर लिया जा सकता है। नियुक्ति के समय से ही बहुगुणा दबाव में चल रहे थे। उत्तराखंड में पिछले साल विनाशकारी बाढ आयी और बडे पैमाने पर राहत और पुनर्वास कार्य संचालित किया गया। उसी समय बहुगुणा की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठने लगे थे।

राज्य के विधायकों और अन्य कांग्रेस नेताओं के प्रतिनिधिमंडल बहुगुणा को हटाने का दबाव बनाने के लिए दिल्ली में पिछले छह महीने से पार्टी नेताओं से नियमित तौर पर मिलते रहे हैं।

कांग्रेस के विधानसभा में 33 सदस्य हैं। उसे प्रोग्रेसिव डेमोकेट्रिक फ्रंट के 7 सदस्यों का समर्थन है। इस फ्रंट में बसपा के तीन, निर्दलीय तीन और उत्तराखंड क्रान्ति दल का एक विधायक शामिल हैं। शेष 30 विधायक भाजपा के हैं।

रावत 2012 में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में बहुगुणा से पीछे रह गए थे। उत्तराखंड बनने के बाद केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री रावत राज्य में कांग्रेस के पहले प्रदेश अध्यक्ष बने। 2002 विधानसभा चुनावों में पार्टी की जीत का नेतृत्व करने के बावजूद रावत की जगह नारायण दत्त तिवारी को मुख्यमंत्री बना दिया गया। 2012 में भी बहुगुणा को मुख्यमंत्री बनाकर रावत को किनारे कर दिया गया। रावत इसे लेकर खासे नाराज भी रहे, लेकिन बाद में उन्हें कैबिनेट मंत्री बना दिया गया। खबर है कि रावत और प्रीतम सिंह के बीच कड़ा मुकाबला हो सकता है।

उधर, मुख्यमंत्री पद की खुली दावेदारी कर इन्दिरा हृदयेश ने सबको चौंका दिया है। वैसे प्रीतम सिंह रावत खेमे के ही हैं।

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