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This Article is From Aug 29, 2013

अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने को लेकर केंद्र और सीबीआई आमने-सामने

अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने को लेकर केंद्र और सीबीआई आमने-सामने
नई दिल्ली: सीबीआई और केंद्र गुरुवार को उच्चतम न्यायालय में कोयला घोटाला मामले में एक-दूसरे के आमने-सामने थे। जहां जांच एजेंसी ने जोर दिया कि घोटाले में नौकरशाहों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पूर्व अनुमति की जरूरत नहीं है, वहीं सरकार ने इसका जोरदार विरोध किया।

एजेंसी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अमरेंद्र सरन ने कहा कि उन मामलों में मुकदमा चलाने के लिए अनुमति की आवश्यकता नहीं है, जिसमें अदालत ने मामले की जांच का निर्देश दिया हो या वह जांच की निगरानी कर रही हो।

केंद्र ने हालांकि जोर दिया कि मुद्दे पर विस्तार से सुनवाई की आवश्यकता है क्योंकि स्वीकृति जरूरी है और अदालत राज्य सरकारों के रुख को सुने बिना कोई आदेश नहीं दे सकती है।

किसी भी आदेश के पहले मुद्दे पर विस्तार से सुनवाई की जरूरत बताते हुए अटॉर्नी जनरल जीई वाहनवती ने कहा, ‘‘यह मुद्दा आसानी से फैसला करने वाला नहीं है। कैसे कोई अदालत सीबीआई की ओर से आवेदन दिए बिना ही इस तरह का कोई आदेश दे सकती है।’’

अदालत ने तब कहा कि मुद्दे पर 5 सितंबर को सुनवाई होगी जब वह कुछ निर्देश देगी।

इससे पहले हलफनामे में सीबीआई ने दावा किया था कि अदालत की निगरानी वाले मामले में सरकार से किसी स्वीकृति या मंजूरी की आवश्यकता नहीं है और 2 जी मामले में शीर्ष अदालत के आदेश का उल्लेख किया जिसमें अन्य मामलों में अनुमति देने के लिए सरकार के लिए समय-सीमा निर्धारित की गई थी।

एजेंसी ने कहा था, ‘‘डीएसपीई (दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टैबलिशमेंट) की धारा 6-ए और पीसी (भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम) की धारा 19 साफ तौर पर दर्शाती है कि मुकदमे के लिए अनुमति की तब आवश्यकता नहीं है जब ऐसा अदालत के निर्देश पर किया जा रहा हो या जहां अदालत मामले की निगरानी कर रही हो।’’

केंद्र ने हालांकि इससे पहले शीर्ष अदालत के समक्ष यह रूख अपनाया था कि अदालत की निगरानी में चल रही जांच में भी भ्रष्टाचार के मामले में सरकारी अधिकारियों के खिलाफ जांच के लिए पूर्व अनुमति की आवश्यकता है।

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