मणिपुर में भारतीय सेना के 18 जवानों की हत्या में चीन की भूमिका शक के घेरे में

नई दिल्ली:

NSCN(K) ने सेना के 18 नौजवानों को मारने की जिम्मेदारी बेशक से ली हो, लेकिन क्या इस ग्रुप ने चीन के कहने पर भारत सरकार के साथ सीजफायर ख़त्म कर दिया? ये सवाल रायसीना हिल्स यानी गृह और रक्षा मंत्रालयों में बार-बार पूछा जा रहा है।

एनडीटीवी को मिली जानकारी के मुताबिक उल्फा नेता परेश बरुआ ने NSCN के नेता के.के. खपलांग को कहकर भारत सरकार से सीजफायर ख़त्म करवाया। गृह मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी का कहना है, "बरुआ ने ये सब चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी के एक बड़े अधिकारी के कहने पर किया।" NSCN(K) ने भारत से सीजफायर मार्च में ख़त्म कर दिया था। अधिकारी ने कहा, ''अगर ये सीजफायर ख़त्म नहीं हुआ होता तो ये जवान भी नहीं मारे जाते।"

गृह मंत्रालय के मुताबिक बरुआ और खपलांग म्यांमार के तागा इलाके और चीन के रुईली व कुन्मिंग के बीच अपने ठिकाने बदलते रहते हैं। जानकारी ये भी है कि ये लोग चीनी आर्मी के संपर्क में भी हैं।

रॉ की जानकारी की मुताबिक चीन की पीएलए की एक पूर्व अधिकारी ने "असाल्ट राइफल" बनाने की फैक्ट्री लगा रखी है। ये फैक्ट्री म्यांमार के कचिन इलाके में है। यहां पर जो हथियार बनाए जाते हैं उनमें से ज्यादातर उत्तर-पूर्व में हिंसा फ़ैलाने की लिए यहां के आतंकवादी गुटों को दिए जाते हैं और NSCN(K) उनमें से एक अहम गुट है।

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गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक फिलहाल दो दर्जन आतंकवादी गुट भारत के उत्तर-पूर्व के इलाकों में सक्रिय हैं और इनमें से ज्यादातर के कैम्प्स म्यांमार के कचिन (kachin) में हैं। रॉ के एक सीनियर अधिकारी ने एनडीटीवी को बताया, "खपलांग और बरुआ दोनों इन गुटों की एक्टिव मदद करते हैं।"