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This Article is From Nov 14, 2021

Children's Day: सीजेआई ने पंडित नेहरू को किया याद, बोले- ''बच्चों को मिलनी चाहिए कानूनी मदद''

Children's Day 2021: सीजेआई रमना ने जवाहरलाल नेहरू को याद करते हुए गरीबों की मदद करने की जरूरत पर भी बल दिया.

Children's Day: सीजेआई ने पंडित नेहरू को किया याद, बोले- ''बच्चों को मिलनी चाहिए कानूनी मदद''
Children's Day: मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने पंडित नेहरू को किया याद.
नई दिल्ली:

बाल दिवस के अवसर पर मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने आज एक कार्यक्रम में कहा कि आपराधिक न्याय प्रणाली में घसीटे जाने वाले बच्चों की मदद की जानी चाहिए. भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को उनकी जयंती पर याद करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "आज जवाहरलाल नेहरू की जयंती पूरे देश में मनाई जा रही है. बाल दिवस पर, यह उचित है कि हम योजनाएं शुरू कर रहे हैं जो मुख्य रूप से बच्चों के लिए कानूनी सहायता को लक्षित हैं."

उन्होंने कहा, "हमें उन कर्मचारियों को बनाए रखने पर विचार करना चाहिए जो बाल-सुलभ कानूनी सहायता और मनोसामाजिक समर्थन जैसे अन्य विशिष्ट कौशल में प्रशिक्षित हैं. जिन बच्चों को आपराधिक न्याय प्रणाली में घसीटा जाता है, उनकी मदद की जानी चाहिए."

उन्होंने 'पैन-इंडिया लीगल अवेयरनेस एंड आउटरीच कैंपेन' के समापन समारोह में ये टिप्पणी की, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के अन्य वरिष्ठ न्यायाधीशों और महिला एवं बाल कल्याण मंत्री स्मृति ईरानी ने भाग लिया.

इससे पहले, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने अपने भाषण के दौरान योजनाओं के बारे में बात करते हुए कहा "जो यह पहचानती हैं कि ट्रॉमा से गुजरने वाले बच्चे के लिए इंगेज होना और न्याय प्राप्त करना कितना मुश्किल है".

उन्होंने कहा कि दुर्व्यवहार के शिकार बच्चों को कानूनी सहायता और परामर्श देने के लिए विभिन्न पहल की जा रही है. उन्होंने रेखांकित किया, "ऐसी पद्धतियां और स्किल सेट विकसित किए गए हैं जो बच्चे को और अधिक कष्ट पहुंचाए बिना उनकी आपबीती जानने के लिए हैं."

उन्होंने न्यायाधीशों को भी संबोधित किया और कहा, "मैं महिलाओं और बच्चों के लिए एक न्यायपूर्ण भविष्य की कामना करती हूं और आपकी मदद से ही भविष्य को सक्षम बनाया जा सकता है."

सीजेआई रमना ने जवाहरलाल नेहरू को याद करते हुए गरीबों की मदद करने की जरूरत पर भी बल दिया.

उन्होंने कहा, "दुख की बात है कि स्वतंत्र भारत को अपने औपनिवेशिक अतीत से एक गहरा खंडित समाज विरासत में मिला है. उसी को ध्यान में रखते हुए पंडित नेहरू ने एक बार कहा था, 'आर्थिक स्वतंत्रता के बिना कोई वास्तविक स्वतंत्रता नहीं हो सकती है और यह कि भूखे व्यक्ति को स्वतंत्र कहना उसका मजाक बनाना है.' अमीरों और वंचितों के बीच विभाजन अभी भी एक वास्तविकता है."

"कल्याणकारी राज्य का हिस्सा होने के बावजूद लाभ लक्षित लाभार्थियों तक नहीं पहुंच रहा है. सम्मानजनक जीवन जीने के बारे में लोगों की आकांक्षाओं को अक्सर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. उनमें से एक, मुख्य रूप से गरीबी है. यह वह स्थिति है जहां कानूनी सहायता जैसी पहल बहुत महत्व रखती है."

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