केंद्र सरकार के सूत्रों का कहना है कि साइक्लोन यास को लेकर पश्चिम बंगाल में पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 28 मई को हुई बैठक को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Bengal Chief Minister Mamata Banerjee) का रुख और व्यवहार भले जो भी रहा हो, कम से कम राज्य के तत्कालीन मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय (Alapan Bandyopadhyay ) को तो ऐसा नहीं करना चाहिए था. यह प्रतिक्रिया पीएम मोदी की अगुवाई में हो रही बैठक से ममता बनर्जी के जाने और सीनियर आईएएस बंदोपाध्याय के साइक्लोन यास (Cyclone Yaas) पर प्रजेंटेशन देने की बजाय वहां से निकल जाने को लेकर दी गई. सूत्रों का कहना है कि इससे पहले दोनों ही नुकसान का जायजा लेने को बुलाई गई समीक्षा बैठक में देरी से पहुंचे थे.
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सरकार के सूत्रों ने पूछा, क्या अलपन बंदोपाध्याय का आचार एवं व्यवहार उनके पद के अनुरूप था? एक राज्य के सबसे वरिष्ठ सिविल सेवक होने के नाते उन्हें किस तरह का व्यवहार करना चाहिए? क्या उन्होंने तार्किक ढंग से और सोच विचार के यह रुख अपनाया या फिर वो पूरी तरह मुख्यमंत्री के साथ रौ में बह गए, ताकि सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें इसका उचित इनाम मिल सके. इस वाकये के कुछ घंटों बाद ही केंद्र सरकार की ओर से बंगाल सरकार को फरमान भेजा गया कि उन्हें कार्यमुक्त किया जाए और वो 31 मई को दिल्ली आकर रिपोर्ट करें.
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हालांकि केंद्र सरकार का आदेश मानने की बजाय बंदोपाध्याय ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. ममता बनर्जी ने तुरंत ही उन्हें राज्य सरकार का मुख्य सलाहकार नियुक्त कर दिया. केंद्र सरकार ने उन्हें कारण बताओ नोटिस देकर पूछा है कि वे साइक्लोन यास की रिव्यू मीटिंग क्यों छोड़कर चले गए.सरकार के सूत्रों ने कहा, "एक राज्य का मुख्य सचिव किसी मुख्यमंत्री के पर्सनल स्टाफ की तरह व्यवहार नहीं कर सकता. फिर चाहे वो कितना ही सीनियर क्यों न हो...वो बंगाल के मुख्य सचिव थे, न कि मुख्यमंत्री के."
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