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This Article is From Jun 24, 2013

उत्तराखंड : बचावकार्य में अहम भूमिका निभा रहा है ‘चीता’

उत्तराखंड : बचावकार्य में अहम भूमिका निभा रहा है ‘चीता’
उत्तराखंड/ गोचर: सड़क पर चलने वाले वाहनों में क्षमता से अधिक सवारियों के बैठने पर होने वाली असुविधा भले ही सबको पता हो, लेकिन हेलीकॉप्टर में ऐसी असुविधा का अनुभव बहुत ही कम लोगों को होगा। ‘चीता’ हेलीकॉप्टर में लोगों को कुछ ऐसी ही असुविधा हुई, क्योंकि यहां आपदा के दौरान एक-एक चक्कर में सेना के यह नन्हे हेलीकॉप्टर पांच-पांच लोगों को बाहर ले गए हैं ताकि राहत एवं बचावकार्य तेजी से चल सके।

सेना की हवाई शाखा के पायलट बद्रीनाथ, जंगलचट्टी और हरशिल तक दो सीट वाले ‘चीता’ को ले जा रहे हैं। पांच-पांच लोगों को ले जाने के लिए सीटें मोड़कर जगह बनाई गई है।

इन हेलीकॉप्टरों की मदद से आज टोही अभियान भी शुरू किया गया ताकि प्रभावी इलाकों में फंसे लोगों को बचाया जा सके। लोगों की जंगल में खोज के लिए 200 जवानों को भी भेजा गया है।

एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने बताया, हमने एक-एक चक्कर में कम से कम पांच पांच लोगों को बाहर पहुंचाया है। पहले बहुत ही कम ऐसा हुआ है, लेकिन बड़ी संख्या में लोगों को बचाने की जरूरत को देखते हुए पायलटों ने पहले सुरक्षा के पहलू पर विचार किया और फिर दोनों सीटों को मोड़कर जगह बनाई गई। उन्होंने बताया, अधिकतम ईंधन का उपयोग हो रहा है, लेकिन लोगों को बचाना ज्यादा जरूरी है। लोगों और मशीन की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया गया। आर्मी एवियेशन कॉर्प्स (एएसी) ने पांच चीता हेलीकॉप्टर और दो ध्रुव हेलीकॉप्टर तैनात किए हैं। चीता के अभियान में एक पायलट और एक सह पायलट जुड़े हैं। यह हेलीकॉप्टर छोटी और ऐसी पट्टियों पर उतर सकता है, जो तैयार न की गई हो। अधिकारी ने बताया कि अब तक चीता करीब 500 लोगों को बचा चुके हैं। मौसम साफ होने पर फिर चीता मुहिम पर जा सकते हैं।

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