पंजाब लोक कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह ने सोमवार को मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के कल्याणकारी कार्यों के दावों को खारिज करते हुए दावा किया कि सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार उन कार्यों का श्रेय ले रही है जो राज्य में उनके मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए किए गए थे. पिछले साल प्रदेश के मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस छोड़ दी थी. बाद में उन्होंने पंजाब लोक कांग्रेस नाम से नया दल बनाया और राज्य में 20 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी का भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) से गठबंधन है. पटियाला शहरी विधानसभा सीट से नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद यहां अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए सिंह ने दावा किया कि यह उनकी सरकार थी जिसने बेअदबी और मादक द्रव्यों के मामलों में कड़ी कार्रवाई की.
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उन्होंने कहा कि चन्नी अपनी व्यक्तिगत उपलब्धि के रूप में जो कुछ भी दावा कर रहे हैं, वह “मेरी सरकार द्वारा पूरा किया गया, जिसमें नौकरियों का सृजन, सामाजिक कल्याण योजनाएं, महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा और किसानों की कर्जमाफी शामिल है.”
अमरिंदर सिंह ने एक बयान में कहा कि यहां तक कि बेअदबी और मादक द्रव्यों के मामले में भी, यह उनकी सरकार थी जिसने कड़े कदम उठाए थे. उनकी सरकार ने सीबीआई से बेअदबी के मामलों को वापस पाने के लिए उच्चतम न्यायालय तक कड़ी लड़ाई लड़ी, जिसके कारण पूर्व डीजीपी सुमेध सैनी सहित 19 अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया.
अमरिंदर सिंह ने कहा कि, जहां तक मादक द्रव्यों के मामलों का सवाल है, उनकी सरकार ने सफलतापूर्वक ‘ड्रग माफिया' की रीढ़ को तोड़ा, जिससे कई बड़ी मछलियों सहित 40,000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया. लेकिन यह मानना बचकाना होगा कि दुनिया में कहीं भी मादक द्रव्य का पूरी तरह से सफाया हो सकता है, और वह भी पंजाब जैसे सीमावर्ती राज्य में, जहां पाकिस्तान लगभग हर दिन उनकी खेप भेजने में जुटा है.
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पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान किसानों को स्पष्ट समर्थन दिया. उन्होंने कहा कि राज्य भर में 137 स्थानों पर नाकेबंदी के बावजूद, उनकी सरकार ने कार्रवाई नहीं की क्योंकि वह किसानों की चिंताओं से वाकिफ थे.
कृषि कानूनों को अंतत: निरस्त किए जाने की सराहना करते हुए, उन्होंने कहा कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था कि किसी देश के प्रधानमंत्री किसी भी नीतिगत फैसले के लिए माफी मांगते हैं, जैसा कि नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेते समय किया था.
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