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This Article is From Sep 02, 2019

चंद्रयान 2 मिशन : ऑरबिटर से सफलतापूर्वक अलग किया गया लैंडर 'विक्रम', सात सितंबर को चंद्रमा की सतह पर पहुंचेगा

‘विक्रम’ लैंडर सात सितंबर को तड़के डेढ़ बजे से ढाई बजे के बीच चंद्रमा की सतह पर पहुंचेगा.

चंद्रयान-2 ने चंद्रमा की कक्षा में 20 अगस्त को प्रवेश किया था.

नई दिल्ली:

इसरो ने चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से ‘विक्रम' लैंडर को सफलतापूर्वक अलग किया है. इसरो ने रविवार को कहा था कि उसने चंद्रयान-2 को चंद्रमा की पांचवीं एवं अंतिम कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश करा लिया. रविवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने इस प्रक्रिया (मैनुवर) के पूरा होने के बाद कहा कि अंतरिक्ष यान की सभी गतिविधियां सामान्य हैं. इसरो ने एक अपडेट में कहा था, 'प्रणोदन प्रणाली का प्रयोग करते हुए चंद्रयान-2 अंतरिक्षयान को चंद्रमा की अंतिम एवं पांचवीं कक्षा में एक सितंबर, 2019 सफलतापूर्वक प्रवेश कराने का कार्य योजना के मुताबिक छह बजकर 21 मिनट पर शुरू किया गया.

चंद्रमा की पांचवीं कक्षा में प्रवेश कराने की इस पूरी प्रक्रिया में 52 सेकेंड का समय लगा.' इससे पहले शुक्रवार को इसरो ने "चंद्रयान-2'' को चांद की चौथी कक्षा में आगे बढ़ाने की प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरा कर लिया था. 

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देश की बड़ी सफलता को साबित करते हुए भारत के दूसरे चंद्रमा मिशन चंद्रयान-2 ने चंद्रमा की कक्षा में 20 अगस्त को प्रवेश किया था. ‘विक्रम' लैंडर सात सितंबर को तड़के डेढ़ बजे से ढाई बजे के बीच चंद्रमा की सतह पर पहुंचेगा. लैंडर के चांद की सतह पर उतरने के बाद इसके भीतर से ‘प्रज्ञान' नाम का रोवर बाहर निकलेगा और अपने छह पहियों पर चलकर चांद की सतह पर अपने वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देगा. इसरो के वैज्ञानिकों का कहना है कि चांद पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग' चंद्र मिशन-2 का सबसे जटिल चरण है. अतंरिक्ष एजेंसी ने कहा कि अंतरिक्ष यान की स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है.

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