दिल्ली विधानसभा में सीएम अरविंद केजरीवाल
नई दिल्ली:
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को केंद्र पर करारा प्रहार करते हुए आरोप लगाया कि उपराज्यपाल को अधिसूचना के माध्यम से ज्यादा शक्तियां देना देश को ‘तानाशाही’ की तरफ ले जाने का ‘प्रयोग’ है।
दिल्ली विधानसभा में अपने संबोधन में केजरीवाल ने उपराज्यपाल नजीब जंग पर प्रहार किया और कहा कि वह ‘केंद्र के इशारे’ पर चल रहे हैं और आप सरकार के लिए ‘जानबूझकर’ बाधाएं पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘दिल्ली में जो हो रहा है वह खतरनाक है। यह बीजेपी नीत केंद्र का दिल्ली में प्रयोग है। एक-एक कर यह प्रयोग हर गैर बीजेपी शासित राज्य में किया जाएगा। वे देश को तानाशाही की तरफ ले जाना चाहते हैं। मैं सभी गैर बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अपील करता हूं कि इस मुद्दे पर एकजुट हों।’
केजरीवाल ने कहा कि नौकरशाहों की नियुक्ति के साथ ही पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था के मामले में उपराज्यपाल को ज्यादा शक्तियां देने वाली अधिसूचना ‘राजनीतिक’ हित को ध्यान में रखकर की गई क्योंकि केंद्र 'आप' सरकार को बदनाम करना चाहता है।
उन्होंने कहा, ‘यह संवैधानिक मुद्दा नहीं जैसा कि मंगलवार को बीजेपी अध्यक्ष ने कहा। यह राजनीतिक मुद्दा है। केंद्र 'आप' सरकार को विफल करना चाहती है। लेकिन हम संघर्ष जारी रखेंगे।’ उन्होंने यह भी आरोप लगाए कि दिल्ली में झुग्गी झोपड़ियां जंग के निर्देशों पर तोड़ी जा रही हैं ताकि लोग 'आप' सरकार से क्षुब्ध हो जाएं।
मुख्यमंत्री गृह मंत्रालय की तरफ से 21 मई को जारी अधिसूचना के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव पर एक चर्चा में हिस्सा लेते हुए बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे पर सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखने जा रहे हैं। अधिसूचना में केंद्र ने नौकरशाहों की नियुक्ति में उपराज्यपाल को पूर्ण शक्तियां दी थीं और स्पष्ट किया था कि उन्हें पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था जैसे मुद्दों पर मुख्यमंत्री से ‘सलाह’ करने की जरूरत नहीं है। दिल्ली सरकार की एसीबी को केंद्र सरकार के अधिकारियों और नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज करने से भी रोक दिया गया है।
बहरहाल दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार फैसला दिया कि एसीबी को दिल्ली पुलिस के कर्मियों सहित केंद्र सरकार के अधिकारियों के खिलाफ जांच का अधिकार है।
गृह मंत्रालय की अधिसूचना की वैधता को चुनौती देते हुए केजरीवाल ने कहा कि केंद्र अधिसूचना के माध्यम से संविधान में ‘बदलाव’ का प्रयास कर रहा है जो संसद की शक्तियों का उल्लंघन है। भ्रष्टाचार के आरोपों में एक पुलिसकर्मी की गिरफ्तारी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय उसकी जमानत कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘गृह मंत्रालय उसे बचाने का प्रयास क्यों कर रहा है? केंद्र ने भ्रष्टाचार का लाइसेंस दे रखा है और भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने का काम कर रहा है। उन्होंने काफी षड्यंत्र किया है। उन्हें हमारे खिलाफ षड्यंत्र बंद करना चाहिए।’
उपराज्यपाल जंग पर करारा प्रहार करते हुए केजरीवाल ने उन पर दिल्ली सरकार के खिलाफ काम कर केंद्र को खुश करने का प्रयास करने के आरोप लगाए क्योंकि वह जानते हैं कि ऐसा नहीं करने पर उन्हें हटा दिया जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘उपराज्यपाल को क्यों नहीं हटाया गया क्योंकि बीजेपी इस तरह के प्रशासक चाहती है जो गैर बीजेपी मुख्यमंत्रियों की जिंदगी को नरक बना दें। उपराज्यपाल केवल स्थानांतरण और पदस्थापना के मामलों में रुचि ले रहे हैं न कि बिजली और पानी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर।’
दिल्ली विधानसभा में अपने संबोधन में केजरीवाल ने उपराज्यपाल नजीब जंग पर प्रहार किया और कहा कि वह ‘केंद्र के इशारे’ पर चल रहे हैं और आप सरकार के लिए ‘जानबूझकर’ बाधाएं पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘दिल्ली में जो हो रहा है वह खतरनाक है। यह बीजेपी नीत केंद्र का दिल्ली में प्रयोग है। एक-एक कर यह प्रयोग हर गैर बीजेपी शासित राज्य में किया जाएगा। वे देश को तानाशाही की तरफ ले जाना चाहते हैं। मैं सभी गैर बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अपील करता हूं कि इस मुद्दे पर एकजुट हों।’
केजरीवाल ने कहा कि नौकरशाहों की नियुक्ति के साथ ही पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था के मामले में उपराज्यपाल को ज्यादा शक्तियां देने वाली अधिसूचना ‘राजनीतिक’ हित को ध्यान में रखकर की गई क्योंकि केंद्र 'आप' सरकार को बदनाम करना चाहता है।
उन्होंने कहा, ‘यह संवैधानिक मुद्दा नहीं जैसा कि मंगलवार को बीजेपी अध्यक्ष ने कहा। यह राजनीतिक मुद्दा है। केंद्र 'आप' सरकार को विफल करना चाहती है। लेकिन हम संघर्ष जारी रखेंगे।’ उन्होंने यह भी आरोप लगाए कि दिल्ली में झुग्गी झोपड़ियां जंग के निर्देशों पर तोड़ी जा रही हैं ताकि लोग 'आप' सरकार से क्षुब्ध हो जाएं।
मुख्यमंत्री गृह मंत्रालय की तरफ से 21 मई को जारी अधिसूचना के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव पर एक चर्चा में हिस्सा लेते हुए बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे पर सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखने जा रहे हैं। अधिसूचना में केंद्र ने नौकरशाहों की नियुक्ति में उपराज्यपाल को पूर्ण शक्तियां दी थीं और स्पष्ट किया था कि उन्हें पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था जैसे मुद्दों पर मुख्यमंत्री से ‘सलाह’ करने की जरूरत नहीं है। दिल्ली सरकार की एसीबी को केंद्र सरकार के अधिकारियों और नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज करने से भी रोक दिया गया है।
बहरहाल दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार फैसला दिया कि एसीबी को दिल्ली पुलिस के कर्मियों सहित केंद्र सरकार के अधिकारियों के खिलाफ जांच का अधिकार है।
गृह मंत्रालय की अधिसूचना की वैधता को चुनौती देते हुए केजरीवाल ने कहा कि केंद्र अधिसूचना के माध्यम से संविधान में ‘बदलाव’ का प्रयास कर रहा है जो संसद की शक्तियों का उल्लंघन है। भ्रष्टाचार के आरोपों में एक पुलिसकर्मी की गिरफ्तारी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय उसकी जमानत कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘गृह मंत्रालय उसे बचाने का प्रयास क्यों कर रहा है? केंद्र ने भ्रष्टाचार का लाइसेंस दे रखा है और भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने का काम कर रहा है। उन्होंने काफी षड्यंत्र किया है। उन्हें हमारे खिलाफ षड्यंत्र बंद करना चाहिए।’
उपराज्यपाल जंग पर करारा प्रहार करते हुए केजरीवाल ने उन पर दिल्ली सरकार के खिलाफ काम कर केंद्र को खुश करने का प्रयास करने के आरोप लगाए क्योंकि वह जानते हैं कि ऐसा नहीं करने पर उन्हें हटा दिया जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘उपराज्यपाल को क्यों नहीं हटाया गया क्योंकि बीजेपी इस तरह के प्रशासक चाहती है जो गैर बीजेपी मुख्यमंत्रियों की जिंदगी को नरक बना दें। उपराज्यपाल केवल स्थानांतरण और पदस्थापना के मामलों में रुचि ले रहे हैं न कि बिजली और पानी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर।’
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