केंद्र सरकार ने कहा है कि राज्यपालों को अपने संबंधित राज्यों में साल में कम से कम 292 दिन रहना चाहिए और राष्ट्रपति की मंजूरी के बिना राज्य से बाहर नहीं जाना चाहिए।
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की ओर से ताजा निर्देश तब आया है, जब यह बात संज्ञान में आई कि कुछ राज्यपाल काफी समय अपने संबंधित राज्यों से बाहर व्यतीत कर रहे हैं।
गृह मंत्रालय की ओर से अधिसूचित 18 बिन्दुओं के नए नियमों में कहा गया है, कोई भी यात्रा राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति प्राप्त किए बिना अथवा आकस्मिक या अभूतपूर्व परिस्थितियों में बिना राष्ट्रपति सचिवालय को पूर्व में सूचित किए बिना नहीं की जानी चाहिए। अंतिम क्षणों में यात्रा की योजना की स्थिति में राज्यपालों को इसके कारणों को बताना होगा।
राज्य से बाहर यात्रा करने के संबंध में राष्ट्रपति भवन को आग्रह यात्रा की तिथि से एक से छह सप्ताह पहले की अवधि में किसी समय भेजना होगा और यह इस बात पर निर्भर करेगा कि यात्रा आधिकारिक या निजी है और उन्हें भारत के भीतर या विदेश जाना है।
राज्यपालों को अपने आग्रहों को प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा और केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को संबद्ध करना होगा। यह सुनिश्चित करने के लिए कि निजी यात्रा को आधिकारिक रूप में नहीं दर्शाया जाए, राजभवनों को प्रत्येक आधिकारिक यात्रा (घरेलू या विदेश) का ब्यौरा राष्ट्रपति को भेजना होगा और इसमें किसी तरह के बदलाव के बारे में राष्ट्रपति भवन को सूचित करना होगा।
अधिसूचना में कहा गया है, "राज्यपालों के लिए ऐसी यात्रा की अवधि को कैलेंडर वर्ष के 20 प्रतिशत दिनों से अधिक नहीं होनी चाहिए।" विदेश यात्रा के मामलों में राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए संदेश राष्ट्रपति सचिवालय को एडवांस में छह सप्ताह पहले प्राप्त हो जानी चाहिए। सूत्रों ने कहा कि राज्यपालों द्वारा सुविधाओं के दुरुपयोग के कई मामले सामने आने के बाद नया नियम अधिसूचित किया गया।
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