जम्मू और कश्मीर में इंटरनेट प्रतिबंध भारत की संप्रभुता और अखंडता के हित में हैं. यह बात केंद्र सरकार ने रविवार को संसद में कही. सरकार ने बताया कि राज्य में इंटरनेट की जो स्पीड है वो डिजिटल शिक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए पर्याप्त है जो कि विशेष रूप से कोरोनोवायरस महामारी के बीच महत्वपूर्ण हैं.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी के रेड्डी ने लोकसभा में अपने लिखित जवाब में कहा, 'जम्मू कश्मीर में फिक्स्ड लाइन के जरिए इंटरनेट सेवा मौजूद है और वो भी स्पीड पर बिना किसी प्रतिबंध के. साथ ही 24 जनवरी 2020 से वैकल्पिक रूप से 2जी मोबाइल इंटरनेट भी उपलब्ध है. सोशल मीडिया साइटों पर भी मार्च से प्रतिबंध हटाए जा चुके हैं.
2जी मोबाइल इंटरनेट की स्पीड कोरोना नियंत्रण के उपायों में बाधक नहीं है और जिसमें आम जनता और स्वास्थ्य कर्मियों के बीच सूचना के प्रसार में बाधक नहीं है. साथ ही सरकार के ई-लर्निंग ऐप्स व शिक्षा और ई-लर्निंग वेबसाइट 2जी इंटरनेट पर भी ई-बुक और स्टडी मैटेरियल डाउनलोड करने के लिए उपलब्ध हैं.
उन्होंने साथ ही यह भी बताया कि गांदेरबल और उधमपुर जिलों में तेज गति वाले 4जी मोबाइल डाटा सर्विस भी शुरू की गई है. पिछले साल अनुच्छेद 370 को समाप्त करने और विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करते हुए राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद से ही सरकार ने संचार प्रतिबंध लगा दिया था.
प्रशासन ने बताया कि दुष्प्रचार को रोकने और आतंकियों द्वारा नेटवर्क के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए जम्मू कश्मीर के अधिकांश इलाकों में मोबाइल इंटरनेट सेवा बहुत धीमी गति से काम कर रही है. आलोचक कहते हैं कि इन प्रतिबंधों से हजारों की संख्या में नौकरियां चली गईं और अर्थव्यवस्था को करोड़ों का नुकसान हुआ सो अलग.
एक अन्य जवाब में, गृह राज्य मंत्री ने कहा कि भले ही कोई भी नेता जम्मू-कश्मीर में नजरबंद नहीं है, लेकिन 223 लोगों को 'प्रिवेंटिव डिटेंशन' में रखा गया है.
मंत्री ने कहा, 'वर्तमान में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा निर्देशों का पालन के अलावा आवाजाही पर कोई पाबंदी नहीं है और न ही जम्मू कश्मीर में कोई व्यक्ति नजरबंद है.'
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