सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को बड़ी राहत देते हुए उसके 20 हजार करोड़ के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट (Central Vista Project) को हरी झंडी दिखा दी है. इसके साथ ही नए संसद भवन के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है. मंगलवार को अपना फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस प्रोजेक्ट के लिए पर्यावरण मंजूरी व अन्य अनुमति में कोई खामी नहीं है, ऐसे में सरकार अपने इस प्रोजेक्ट को लेकर आगे बढ़ सकती है. कोर्ट ने कहा है कि लैंड यूज बदलने में भी कोई खामी नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार नए संसद और इस प्रोजेक्ट के तहत प्रस्तावित अन्य निर्माण कर सकती है. कोर्ट ने निर्माण स्थल पर एंटी स्मॉग टॉवर और एंटी स्मॉग गन लगाने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि निर्माण के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री पर्यावरणी नियमों के मुताबिक होनी चाहिए. पर्यावरण मंत्रालय भी भविष्य के निर्माण कार्यों के लिए ऐसे नए नियम जारी करने वाला है.
यह फैसला बहुमत का फैसला है. इस केस में कोर्ट ने 2:1 से फैसला दिया है. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने केस में अलग राय दी है. उन्होंने कहा कि 'परियोजना के अवार्ड के मुद्दे पर सहमत हूं. हालांकि, भूमि उपयोग पर बदलाव के फैसले से मैं असहमत हूं. इसके लिए विरासत समिति की पूर्व स्वीकृति होनी चाहिए थी.' उन्होंने विरासत संरक्षण समति के पास यह मुद्दा भेज दिया है.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा था. अदालत को तय करना था कि यह प्रोजेक्ट कानून के मुताबित है या नहीं. कोर्ट ने कहा था कि जब तक वो अपना फैसला नहीं सुना देती है, तबतक कोई भी निर्माण कार्य या फिर तोड़फोड़ वगैरह नहीं की जा सकती है. हालांकि, कोर्ट ने प्रतीकात्मक शिलान्यास की अनुमति दे दी थी, जिसके बाद 10 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन का शिलान्यास किया था.
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