केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के अधिकारियों ने जीती ऑर्गनाइज्ड ग्रुप ए सर्विस की जंग

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ऑर्गेनाइज्ड ग्रुप ए सर्विसेस न मानकर नॉन फंक्शनल फाइनेंशियल अपग्रेडेशन से वंचित नहीं रखा जा सकता

केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के अधिकारियों ने जीती ऑर्गनाइज्ड ग्रुप ए सर्विस की जंग

प्रतीकात्मक फोटो.

खास बातें

  • बीएसएफ, सीआरपीएफ, आइटीबीपी, सीआईएसएफ, एसएसबी के अफसरों को लाभ
  • केंद्रीय सुरक्षा बलों के अधिकारियों ने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी
  • लगभग 6000 वरिष्ठ अधिकारियों को सीधा लाभ मिलेगा
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के अधिकारियों की याचिका पर अंतिम निर्णय देते हुए फैसला सुनाया कि केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के अधिकारियों को ऑर्गेनाइज्ड ग्रुप ए सर्विसेस न मानकर नॉन फंक्शनल फाइनेंशियल अपग्रेडेशन से वंचित नहीं रखा जा सकता.

केंद्र सरकार की विचार याचिका एसएलपी पर फैसला सुनाते हुए अदालत ने यह कहा कि केंद्रीय अर्धसैनिक बल ऑर्गनाइज्ड ग्रुप ए सर्विस से अलग नहीं माने जा सकते. न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन और आशा की खंडपीठ ने आज अपने फैसले में यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकार को इन बलों के लिए ऑर्गनाइज्ड ग्रुप ए सर्विसेस की तर्ज पर एनएफएफयू का लाभ देना होगा.
 
फैसले में कोर्ट ने कहा है कि चौथे पे कमीशन से बलों में ऑर्गनाइज्ड ग्रुप ए सर्विस न मानना तर्कसंगत नहीं है. न्यायालय का आईपीएस के अधिकारों विषय में यह कहना कि आरपीएफ में कुछ पदों को आईपीएस की प्रतिनियुक्ति द्वारा भरने के आशय से और आरपीएफ को ऑर्गनाइज्ड ग्रुप ए सेंट्रल सर्विसेज घोषित कर देने मात्र से भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों के अधिकार कम हो जाएंगे और वे प्रतिनियुक्ति पर नहीं आ पाएंगे, यह तर्क देना वाजिब नहीं है.

न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि 1986 में बीएसएफ और सीआरपीएफ को ऑर्गनाइज्ड ग्रुप ए सर्विस स्वयं सरकार ने माना था. दूसरी तरफ सरकार ने अपनी प्रक्रियाओं में भी बीएसएफ सीआरपीएफ और आईटीबीपी को क्रमशः 1986, 1993 और 2010 में मोनोग्राफ्स वर्गीकृत किए थे और इन्हें ग्रुप ए केंद्रीय सिविल सर्विस का हिस्सा माना था.

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में सीआरपीएफ अधिकारी शहीद

केंद्र और आईपीएस एसोसिएशन की सभी आपत्तियों को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के तीन सितंबर 2015 के निर्णय को कायम रखा है जिसमें न्यायमूर्तियों नजमी वजीरी और कैलाश गंभीर की खंडपीठ ने यह फैसला दिया था कि छठे केंद्रीय वेतन आयोग द्वारा अनुशंसित non-functional फाइनेंशियल अपग्रेडेशन को केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के अधिकारियों के लिए भी लागू किया जाना चाहिए.

गौरतलब है कि केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के अधिकारियों को केंद्र ने ऑर्गनाइज्ड ग्रुप ए सर्विसेज न मानकर अभी तक एनएफएफयू, यानी कि non-functional financial अपग्रेडेशन का लाभ नहीं दिया है और वे इसके लिए पिछले लगभग सात सालों से संघर्ष कर रहे थे.

VIDEO : कश्मीर के हालात में सुधार

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

इस फैसले से केंद्रीय अर्धसैनिक बलों बीएसएफ, सीआरपीएफ, आइटीबीपी, सीआईएसएफ और एसएसबी के लगभग 6000 वरिष्ठ अधिकारियों को सीधा लाभ मिलेगा जो वरीय रैंकों पर रिक्तियां न होने के कारण प्रमोशन न मिल पाने की वजह से वित्तीय लाभ से वंचित रह गए.