मुकुल रोहतगी (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:
मेजर गोगोई ने जो किया वह बिल्कुल सही है. सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत ही मेजर ने कार्रवाई की. एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने एनडीटीवी इंडिया से यह बात कही है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश हैं कि अत्याधिक बल इस्तेमाल न हो. मिनिमम बल इस्तेमाल कर हालात को काबू पाने का ये बेहतरीन नमूना है. एक व्यक्ति को शील्ड न बनाते तो जानमाल का नुकसान होता.
27 अप्रैल को केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा था जब मणिपुर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की क्यूरेटिव पिटीशन खारिज की थी. सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में बदलाव करने से इनकार किया जिसमें कहा गया था कि सेना या पुलिस अत्याधिक बल का इस्तेमाल नहीं कर सकती.
मणिपुर में सेना द्वारा एनकाउंटर करने के मामले में केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी. सुप्रीम कोर्ट के जुलाई 2016 के फैसले के खिलाफ क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की गई थी. केंद्र ने कहा था कि इस फैसले पर फिर से विचार किया जाए नहीं तो मिलिटेंट के खिलाफ सेना के आपरेशन पर असर पड़ेगा. यहां तक कि यह आदेश AFSPA के प्रावधानों पर भी असर डाल रहा है.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सेना या पुलिस ऐसे मामलों में एक्सेस पावर का इस्तेमाल नहीं कर सकती और आत्मरक्षा के लिए न्यूनतम बल यानी फोर्स का इस्तेमाल किया जाए. केंद्र की ओर से एजी मुकुल रोहतगी ने कहा था कि जिस राज्य में मिलिटेंट इनसर्जेंसी चल रही हो ऐसे मामलों में आत्मरक्षा का सवाल नहीं बल्कि हमले करने का होता है. इसका असर उत्तर पूर्वी राज्यों और जम्मू-कश्मीर में पड़ता है जहां AFSPA लगा हुआ है. ऐसे इलाकों में सेना को ऑपरेशन चलाने के लिए आत्मरक्षा नहीं बल्कि हमला करना होता है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट अपने आदेश पर फिर से गौर करे और इस पर जल्द सुनवाई हो. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट पुनर्विचार याचिका भी खारिज कर चुका है.
27 अप्रैल को केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा था जब मणिपुर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की क्यूरेटिव पिटीशन खारिज की थी. सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में बदलाव करने से इनकार किया जिसमें कहा गया था कि सेना या पुलिस अत्याधिक बल का इस्तेमाल नहीं कर सकती.
मणिपुर में सेना द्वारा एनकाउंटर करने के मामले में केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी. सुप्रीम कोर्ट के जुलाई 2016 के फैसले के खिलाफ क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की गई थी. केंद्र ने कहा था कि इस फैसले पर फिर से विचार किया जाए नहीं तो मिलिटेंट के खिलाफ सेना के आपरेशन पर असर पड़ेगा. यहां तक कि यह आदेश AFSPA के प्रावधानों पर भी असर डाल रहा है.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सेना या पुलिस ऐसे मामलों में एक्सेस पावर का इस्तेमाल नहीं कर सकती और आत्मरक्षा के लिए न्यूनतम बल यानी फोर्स का इस्तेमाल किया जाए. केंद्र की ओर से एजी मुकुल रोहतगी ने कहा था कि जिस राज्य में मिलिटेंट इनसर्जेंसी चल रही हो ऐसे मामलों में आत्मरक्षा का सवाल नहीं बल्कि हमले करने का होता है. इसका असर उत्तर पूर्वी राज्यों और जम्मू-कश्मीर में पड़ता है जहां AFSPA लगा हुआ है. ऐसे इलाकों में सेना को ऑपरेशन चलाने के लिए आत्मरक्षा नहीं बल्कि हमला करना होता है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट अपने आदेश पर फिर से गौर करे और इस पर जल्द सुनवाई हो. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट पुनर्विचार याचिका भी खारिज कर चुका है.
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