केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने डॉक्टरों और अन्य चिकित्सीय पेशेवरों के खिलाफ होने वाली हिंसा पर लगाम लगाने के संबंध में एक केंद्रीय कानून का मसौदा तैयार करने का काम आठ सदस्यीय उप समिति को सौंपा है. चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े पेशेवर लंबे समय से ऐसे कानून की मांग कर रहे हैं. अधिकारियों ने बताया कि इस उपसमिति को 17 जुलाई तक कानून का मसौदा तैयार कर लेने का निर्देश दिया गया है. इस समिति में स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए), एम्स आरडीए समेत अन्य के प्रतिनिधि शामिल हैं.
अधिकारियों ने बताया कि कानून का मसौदा तैयार करने में समिति की मदद के लिए पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के एक अनुभवी व्यक्ति को नामित किया जा सकता है. इस उपसमिति का गठन तब किया गया है जब स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से ऐसा केंद्रीय कानून लाने के गुण-दोष को परखने के संबंध में गठित 10 सदस्यीय समिति ने पिछले हफ्ते बैठक की थी और देश भर के चिकित्सीय संस्थानों में सुरक्षा मजबूत करने के तरीकों पर विचार किया था.
10 जुलाई को हुई बैठक के ब्यौरो में बताया गया, “उपसमिति के सदस्यों से अगले एक हफ्ते में मसौदे के कार्य पूरा करने का अनुरोध किया गया है. मसौदा कानून प्रस्तुत करने के लिए वे 17 जुलाई को एक बैठक करेंगे. उपसमिति को यह मसौदा कानून समिति (10 सदस्यीय) को सौंपना होगा जो इस पर विचार करने के लिए अगली बैठक 22 जुलाई को करेगी.”(इनपुट भाषा से)
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