यह ख़बर 28 दिसंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

सीसीटीवी फुटेज 7 दिन रखे जा सकते हैं संरक्षित : डीएमआरसी

खास बातें

  • दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल की मौत मामले में दो आरोपियों की याचिकाओं पर अदालत के निर्देश पर अपनी रिपोर्ट दाखिल करते हुए दिल्ली मेट्रो ने शुक्रवार को कहा कि सीसीटीवी फुटेज को केवल सात दिनों तक ही संरक्षित रखा जा सकता है।
नई दिल्ली:

दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल की मौत मामले में दो आरोपियों की याचिकाओं पर अदालत के निर्देश पर अपनी रिपोर्ट दाखिल करते हुए दिल्ली मेट्रो ने शुक्रवार को कहा कि सीसीटीवी फुटेज को केवल सात दिनों तक ही संरक्षित रखा जा सकता है। इसके बाद वे स्वत: मिट जाते हैं।

दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन (डीएमआरसी) की स्थिति रिपोर्ट में कहा गया है, "23 दिसम्बर को रिठाला और राजीव चौक मेट्रो स्टेशनों के सीसीटीवी कैमरों में दर्ज अपराह्न तीन से छह बजे तक के उपलब्ध फुटेज संरक्षित कर लिए गए हैं और ये पुलिस की जांच के लिए उपलब्ध हैं। अदालत या जांच एजेंसियों को जब भी जरूरत होगी, उन्हें ये सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध करा दिए जाएंगे।"

रिपोर्ट में कहा गया है, "सीसीटीवी फुटेज कप्यूटर सिस्टम में केवल सात दिन संरक्षित रहते हैं, इसके बाद सिस्टम उन्हें स्वत: मिटा देता है। डीएमआरसी की नीति के अनुसार सीसीटीवी फुटेज केवल जांच एजेंसियों या अदालत के आदेश पर मुहैया कराए जाते हैं।"

गौरतलब है कि याचिकाकर्ताओं कैलाश जोशी और अमित जोशी की ओर से पेश वकील सोमनाथ भारती ने अदालत से अपील की थी वह डीएमआरसी को सीसीटीवी फुटेज संरक्षित करने का निर्देश दे।

अदालत ने जोशी बंधुओं की याचिकाओं पर गौर करते हुए गुरुवार को डीएमआरसी को सीसीटीवी फुटेज संरक्षित करने का निर्देश देते हुए पुलिस की अपराध शाखा तथा डीएमआरसी से जवाब तलब किया था। कैलाश और अमित जोशी को 23 दिसम्बर को इंडिया गेट पर हिंसक प्रदर्शन होने के बाद गिरफ्तार किया गया था। यह प्रदर्शन 23 वर्षीया युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म के खिलाफ कई दिनों से चल रहे आंदोलन का हिस्सा था।

हिंसक प्रदर्शन के दौरान घायल कांस्टेबल सुभाष चंद तोमर की दो दिन बाद 25 दिसम्बर को मौत हो गई थी। जोशी बंधुओं का कहना है कि घटना के दौरान वे मेट्रो से यात्रा कर रहे थे। सबूत के तौर पर रिठाला और राजीव चौक मेट्रो स्टेशनों के सीसीटीवी फुटेजों को देखा जाना चाहिए।

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वहीं, अपराध शाखा ने सीसीटीवी फुटेजों की जांच के बाद स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए अदालत से एक हफ्ते का समय मांगा है।