सीबीआई के अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव की नियुक्ति के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अंतरिम निदेशक को पांच-सात दिन से ज्यादा वक्त नहीं दिया जा सकता. वे लंबे वक्त तक नियुक्त नहीं रह सकते. हमें इस बात की चिंता है कि सीबीआई के निदेशक की नियुक्ति कब होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस स्टेज पर हम निदेशक की नियुक्ति में पारदर्शिता को लेकर कोई गाइडलाइन जारी नहीं करेंगे. कोर्ट ने कहा कि सीबीआई निदेशक की नियुक्ति के बाद अगर उन्हें कोई शिकायत हो तो वो फिर से कोर्ट आ सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि आपको अंतरिम निदेशक की जगह निदेशक की नियुक्ति करनी चाहिए थी. सुप्रीम कोर्ट ने कॉमन कॉज की याचिका पर सुनवाई 6 फरवरी तक टाल दी.
सीबीआई के निदेशक की नियुक्ति को लेकर कोर्ट ने कहा कि केंद्र को पहले से पता था कि निदेशक 31 जनवरी को रिटायर होने वाले हैं. अंतरिम निदेशक बनाना कोई नियुक्ति नहीं है. सीबीआई इन दिनों सही नहीं चल रही है. हमने देखा कि किस तरह अफसरों पर करप्शन के आरोप लग रहे थे. केंद्र को ये भी देखना चाहिए कि अंतरिम निदेशक ने क्या आदेश जारी किए और जो निदेशक के तौर पर वापस आए उन्होंने एक या दो दिन में क्या फैसले लिए.
अटॉर्नी जनरल (AG) केके वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया कि हाईपावर कमेटी की मीटिंग आज ही है. LOP ने कुछ ब्योरा मांगा था जिसकी वजह से पिछली बार निदेशक का चयन नहीं हो पाया. अब उन्हें सारा मटेरियल उपलब्ध करा दिया है. केंद्र ने ये भी बताया कि अंतरिम निदेशक की नियुक्ति हाई पावर कमेटी की अनुमति से ही की गई है.
सीबीआई के अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव की नियुक्ति के खिलाफ कॉमन कॉज की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के पांचवे नंबर के जज जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने सुनवाई की. बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस एनवी रमना ने खुद को इससे अलग कर लिया था. इससे पहले चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस एके सीकरी भी सुनवाई से अलग हो चुके हैं.
गैर सरकारी संगठन ‘कामन कॉज' ने सीबीआई के अंतरिम निदेशक के रूप में एम नागेश्वर राव की नियुक्ति निरस्त करने का आग्रह किया है. वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर इस याचिका में दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना कानून- 1946 की धारा 4 ए के तहत लोकपाल और लोकायुक्त कानून, 2013 में किए गए संशोधन में प्रतिपादित प्रक्रिया के अनुसार केंद्र को जांच एजेंसी का नियमित निदेशक नियुक्त करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि नागेश्वर राव की नियुक्ति उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति की सिफारिश के आधार पर नहीं की गई है. याचिका के अनुसार वास्तव में नागेश्वर राव की नियुक्ति के मामले में इस समिति को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है और इस तरह से यह नियुक्ति गैरकानूनी तथा कानून में प्रतिपादित प्रक्रिया के विपरीत है. इसके अलावा 8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के आदेश को रद्द कर दिया था.
याचिका में दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान कानून, 1946 की धारा 4ए के तहत लोकपाल और लोकायुक्त कानून, 2013 में किए गए संशोधन में प्रतिपादित प्रक्रिया के अनुसार केंद्र को जांच ब्यूरो का नियमित निदेशक नियुक्त करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.
VIDEO : राव के केस की सुनवाई से तीसरे जज भी हुए अलग
10 जनवरी को आलोक वर्मा को जांच एजेंसी के निदेशक पद से हटाए जाने के बाद सरकार ने नए निदेशक की नियुक्ति होने तक एम नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक नियुक्त किया था.
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