सीबीआई मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
नई दिल्ली:
सीबीआई बनाम सीबीआई मामले (CBI vs CBI) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में मंगलवार को सुनवाई चली. सीवीसी की रिपोर्ट पर सीबीआई चीफ आलोक वर्मा के जवाब के कुछ अंश मीडिया में लीक होने पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने नाराजगी जताई और इस मामले की सुनवाई 29 नवंबर तक के लिए टाल दी. मगर फिर बाद में चीफ जस्टिस ने मामले को सुनना शुरू कर दिया. इस दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि वह सिर्फ आलोक वर्मा के वकील फली नरीमन को सुनेंगे.
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कोर्ट ने कहा कि संस्थानों का सम्मान और उनकी मर्यादा बनी रहनी चाहिए. इस पर नरीमन ने कहा कि मैं पिछली सदी से कोर्ट में हूं. 67 साल हो गए हैं मुझे कोर्ट में. लेकिन ऐसी घटना कभी नहीं हुई. इतना अपसेट कभी नहीं हुआ. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि मै आपको कोई कागज़ दूं और मेरा स्टाफ बीच में ही उड़ा ले? कोर्ट ने यह भी कहा कि कल जो जवाब आया वो लिफाफा भी नरीमन को लौटा दिया.
कोर्ट ने कहा कि कोर्ट कोई प्लेटफार्म नहीं है जहां कोई भी आकर कुछ भी कह जाय. कोर्ट की कार्यक्षमता और सम्मान भी दांव पर है. इसलिए अब 29 को ही अगली सुनवाई होगी. कोर्ट ने कहा कि ऐसे संवेदनशील मामलोँ में सर्वोच्च गोपनीयता बरती जानी चाहिए. कोर्ट ने सख्त अंदाज़ और लहजे में नरीमन को एमके सिन्हा की अर्ज़ी और मीडिया रिपोर्ट की प्रति लौटा दी.
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सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कोर्ट स्टाफ को भी फटकार लगाई कि इस संबंध में मीडिया रिपोर्ट को कोर्ट के सामने क्यों नहीं रखा गया. चीफ जस्टिस ने कहा गुस्से में स्टाफ को भी फटकार लगाई. चीफ जस्टिस ने गुस्से में कहा कि कोर्ट नंबर एक की क्षमता उच्च स्तर की है.
दरअसल इस रिपोर्ट की कुछ बातें मीडिया के पास आई हैं. सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश ने पूछा आलोक वर्मा के वकील फली नरीमन से पूछा कि हम ये रिपोर्ट आपको वर्मा के वकील के तौर पर नहीं वरिष्ठ वकील के तौर पर दी थी ये पेपर बाहर कैसे आ गए. इस पर वकील ने जानकारी न होने की बात कही और कहा कि रिपोर्ट लीक करने वालों को कोर्ट में हाजिर कराया जाना चाहिए. इस जवाब से नाराज चीफ जस्टिस ने कहा कि आप में से कोई सुनवाई के लायक नहीं है. इसके बाद चीफ जस्टिस ने मामले की सुनवाई 29 नवंबर तक टाल दी, मगर फिर बाद में मंगलवार को ही सुनवाई के लिए राजी हो गए.
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फली नरीमन ने कहा कि ये आर्टिकल 17 नवंबर का है जो मेरा सीवीसी को जवाब है. इस पर सीजेआई ने कहा कि क्या इसमें कोई फिशिंग नहीं है? सीजेआई ने कहा कि आपको ये आलोक वर्मा के वकील के तोर पर नहीं दिया गया. आपको एक और कागजात देते हैं. इस तरह से CJI ने एक और कागजात दिए. सीजेआई ने कहा कि हम किसी को सुनना नहीं चाहते हैं. सिर्फ फली नरीमन को सुनेंगे.
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CJI ने नाराजगी जताते हुए आलोक वर्मा के वकील गोपाल को कहा कि कोई भी क्लीयरेंस के लिए संदेह के घेरे में नहीं है. कल हमने मेंशनिंग को मना किया और हमने इसके लिए उच्च स्तर की गोपनीयता बरतने की जरूरत बताई थी. ऐसे कैसे कोई कागज क्लाईंट किसी को दे सकता है? हमारा प्रयास संस्थान का सम्मान बचाए रखने का था.
सीजेआई ने कहा कि हम सिर्फ पेपर देने का इंतजार कर रहे हैं. हम कुछ नहीं सुनेंगे. हम जो भी कुछ करेंगे खुली अदालत में करेंगे. संस्थान का सम्मान बनाए रखने के हमारे प्रयास का सम्मान नहीं रखा गया. चीफ जस्टिस ने गुस्से में कहा कि कोर्ट नंबर एक की क्षमता उच्च स्तर की है. ये कोर्ट प्लेटफार्म नहीं है कि कोई भी कुछ आकर कह दे. ये कानूनी अधिकारों का फैसला करने की जगह है. 29 को ही सुनवाई होगी.
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सुप्रीम कोर्ट ने एम के सिन्हा की अर्जी नरीमन को दी. जस्टिस कौल ने सोमवार को इस मामले की जल्द सुनवाई से इनकार किया था. उन्होंने कहा कि हमने पहले ही कहा है कि गोपनीयतता बनाई रखनी चाहिए. लेकिन ये आज सब पेपर में हैं. यानी एमके सिन्हा की याचिका के मीडिया में आने से भी सुप्रीम कोर्ट नाराज है.
बता दें कि सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा ने उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर केन्द्रीय सतर्कता आयोग की प्रारंभिक रिपोर्ट पर सोमवार को सीलबंद लिफाफे में अपना जवाब दाखिल किया था. सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले, सोमवार को आलोक वर्मा से कहा था कि वह सीवीसी की रिपोर्ट पर आज ही सीलबंद लिफाफे में अपना जवाब दाखिल करें. साथ ही कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि इस मामले की सुनवाई के निर्धारित कार्यक्रम में बदलाव नहीं किया जायेगा. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष वर्मा के वकील गोपाल शंकरनारायणन ने जवाब दाखिल करने के लिये सोमवार की सुबह जब थोड़ा वक्त देने का अनुरोध किया तो न्यायालय ने मंगलवार को सुनवाई का कार्यक्रम स्थगित करने से इनकार कर दिया.
VIDEO: जवाब की बातें लीक होने पर CBI चीफ के वकील को सुप्रीम कोर्ट ने फटकारा
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कोर्ट ने कहा कि कोर्ट कोई प्लेटफार्म नहीं है जहां कोई भी आकर कुछ भी कह जाय. कोर्ट की कार्यक्षमता और सम्मान भी दांव पर है. इसलिए अब 29 को ही अगली सुनवाई होगी. कोर्ट ने कहा कि ऐसे संवेदनशील मामलोँ में सर्वोच्च गोपनीयता बरती जानी चाहिए. कोर्ट ने सख्त अंदाज़ और लहजे में नरीमन को एमके सिन्हा की अर्ज़ी और मीडिया रिपोर्ट की प्रति लौटा दी.
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सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कोर्ट स्टाफ को भी फटकार लगाई कि इस संबंध में मीडिया रिपोर्ट को कोर्ट के सामने क्यों नहीं रखा गया. चीफ जस्टिस ने कहा गुस्से में स्टाफ को भी फटकार लगाई. चीफ जस्टिस ने गुस्से में कहा कि कोर्ट नंबर एक की क्षमता उच्च स्तर की है.
दरअसल इस रिपोर्ट की कुछ बातें मीडिया के पास आई हैं. सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश ने पूछा आलोक वर्मा के वकील फली नरीमन से पूछा कि हम ये रिपोर्ट आपको वर्मा के वकील के तौर पर नहीं वरिष्ठ वकील के तौर पर दी थी ये पेपर बाहर कैसे आ गए. इस पर वकील ने जानकारी न होने की बात कही और कहा कि रिपोर्ट लीक करने वालों को कोर्ट में हाजिर कराया जाना चाहिए. इस जवाब से नाराज चीफ जस्टिस ने कहा कि आप में से कोई सुनवाई के लायक नहीं है. इसके बाद चीफ जस्टिस ने मामले की सुनवाई 29 नवंबर तक टाल दी, मगर फिर बाद में मंगलवार को ही सुनवाई के लिए राजी हो गए.
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CJI ने नाराजगी जताते हुए आलोक वर्मा के वकील गोपाल को कहा कि कोई भी क्लीयरेंस के लिए संदेह के घेरे में नहीं है. कल हमने मेंशनिंग को मना किया और हमने इसके लिए उच्च स्तर की गोपनीयता बरतने की जरूरत बताई थी. ऐसे कैसे कोई कागज क्लाईंट किसी को दे सकता है? हमारा प्रयास संस्थान का सम्मान बचाए रखने का था.
सीजेआई ने कहा कि हम सिर्फ पेपर देने का इंतजार कर रहे हैं. हम कुछ नहीं सुनेंगे. हम जो भी कुछ करेंगे खुली अदालत में करेंगे. संस्थान का सम्मान बनाए रखने के हमारे प्रयास का सम्मान नहीं रखा गया. चीफ जस्टिस ने गुस्से में कहा कि कोर्ट नंबर एक की क्षमता उच्च स्तर की है. ये कोर्ट प्लेटफार्म नहीं है कि कोई भी कुछ आकर कह दे. ये कानूनी अधिकारों का फैसला करने की जगह है. 29 को ही सुनवाई होगी.
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सुप्रीम कोर्ट ने एम के सिन्हा की अर्जी नरीमन को दी. जस्टिस कौल ने सोमवार को इस मामले की जल्द सुनवाई से इनकार किया था. उन्होंने कहा कि हमने पहले ही कहा है कि गोपनीयतता बनाई रखनी चाहिए. लेकिन ये आज सब पेपर में हैं. यानी एमके सिन्हा की याचिका के मीडिया में आने से भी सुप्रीम कोर्ट नाराज है.
बता दें कि सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा ने उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर केन्द्रीय सतर्कता आयोग की प्रारंभिक रिपोर्ट पर सोमवार को सीलबंद लिफाफे में अपना जवाब दाखिल किया था. सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले, सोमवार को आलोक वर्मा से कहा था कि वह सीवीसी की रिपोर्ट पर आज ही सीलबंद लिफाफे में अपना जवाब दाखिल करें. साथ ही कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि इस मामले की सुनवाई के निर्धारित कार्यक्रम में बदलाव नहीं किया जायेगा. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष वर्मा के वकील गोपाल शंकरनारायणन ने जवाब दाखिल करने के लिये सोमवार की सुबह जब थोड़ा वक्त देने का अनुरोध किया तो न्यायालय ने मंगलवार को सुनवाई का कार्यक्रम स्थगित करने से इनकार कर दिया.
VIDEO: जवाब की बातें लीक होने पर CBI चीफ के वकील को सुप्रीम कोर्ट ने फटकारा
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