सीबीआई ने हाथरस में हुए कथित सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले की प्राथमिकी वेबसाइट पर डालने के कुछ ही घंटों बाद इसे हटा लिया. संभवत: उच्चतम न्यायालय के उस आदेश का उल्लंघन होने का अहसास होने पर इसे हटाया गया, जिसमें बलात्कार और यौन उत्पीड़न के अपराधों में दर्ज प्राथमिकी को पुलिस के सार्वजनिक करने पर रोक है.
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हालांकि, सीबीआई ने मीडिया को जारी अपने बयान को वेबसाइट से नहीं हटाया है. सूत्रों ने कहा कि हाथरस मामले की प्राथमिकी में दर्ज पीड़िता के नाम को सफेद स्याही से छुपाया गया था लेकिन बेवजह के विवाद से बचने के लिए इसे सार्वजनिक मंच से हटाने का निर्णय लिया गया.
न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली उच्चतम न्यायालय की पीठ ने दिसंबर 2018 में प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को बलात्कार और यौन उत्पीड़न के पीड़ितों की पहचान किसी भी रूप में उजागर नहीं करने का निर्देश दिया था.
उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि पुलिस को बलात्कार और यौन उत्पीड़न के मामलों में दर्ज प्राथमिकी को सार्वजनिक नहीं करना चाहिए. उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में एक दलित युवती के साथ हुए कथित सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले की जांच सीबीआई प्रदेश पुलिस से अपने हाथों में ले चुकी है.
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