कैबिनेट की प्रधानमंत्री की अगुवाई वाली नियुक्ति समिति ने सीबीआई के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच की निगरानी करने वाले सीबीआई के डीआईजी तरुण गौबा को उनका कार्यकाल पूरा होने से पहले ही राज्य कैडर में भेज दिया है. एक सरकारी आदेश के अनुसार, व्यापम मामलों की भी जांच करने वाले उत्तर प्रदेश कैडर के 2001 बैच के आईपीएस अधिकारी गौबा को उनके कैडर में वापस भेजा गया है. बता दें कि सीबीआई के पूर्व अतिरिक्त निदेशक एम नागेश्वर राव ने अस्थाना के खिलाफ जांच की निगरानी के लिए उन्हें नियुक्त किया था. बुधवार को सीबीआई ने इसे लेकर एक आदेश जारी किया. इस आदेश में कहा गया है कि कैबिनेट की नियुक्ति समिति तरुण गौबा को समय से पहले ही उनके राज्य कैडर में वापस भेजने को मंजूरी देती है.
CBI में बड़ा फेरबदल, आलोक वर्मा के बाद राकेश अस्थाना की भी हुई 'छुट्टी', यहां भेजा गया...
गौरतलब है कि पिछले साल ही आलोक वर्मा Alok Verma) के बाद अब विशेष निदेशक राकेश अस्थाना (Rakesh Asthana) की भी सीबीआई (CBI) से 'छुट्टी' कर दी गई थी. सीबीआई से उनका तबादला कर दिया गया था. राकेश अस्थाना के साथ-साथ तीन अन्य अफसरों का भी तबादला किया गया था. सूत्रों के अनुसार गुजरात काडर के 1984 बैच के आईएएस अधिकारी राकेश अस्थाना को सीबीआई से हटाकर उनका तबादला एविएशन सुरक्षा में कर दिया गया था. बता दें कि 24 जनवरी सीबीआई का नया निदेशक चुना जाना था.
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एक आधिकारिक आदेश में कहा गया था कि सीबीआई के तीन अन्य अधिकारियों संयुक्त निदेशक अरुण कुमार शर्मा, उपमहानिरीक्षक मनीष कुमार सिन्हा और पुलिस अधीक्षक जयंत जे नाईकनवरे के कार्यकाल में भी कटौती की गई है. ताजा आदेश ऐसे समय आया है जब कुछ दिन पहले आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक के पद से हटा दिया गया था और उन्हें दमकल, सिविल डिफेंस और होम गार्ड का महानिदेशक नियुक्त किया गया था. आलोक वर्मा ने नया पद लेने से इंकार कर दिया था और कहा था कि वह पुलिस सेवा से पहले ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं. बता दें कि CBI के नए डायरेक्टर (CBI Director) की नियुक्ति पर फैसला लेने के लिए 24 जनवरी को सेलेक्शन कमिटी (Selection Panel) की बैठक होगी. बैठक पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के नेतृत्व में होगी. बता दें कि आलोक वर्मा (Alok Verma) को सीबीआई चीफ (Cbi Chief) पद से हटाए जाने के बाद से ही यह पद खाली है.
बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट से सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को बड़ा झटका मिला था. दिल्ली हाई कोर्ट ने राकेश अस्थाना की याचिका रद्द कर दी थी. राकेश अस्थाना ने अपने ख़िलाफ़ दर्ज हुई एफआईआर रद्द करने की मांग की थी, जिसे दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था. बता दें कि 20 दिसंबर को दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस नज़मी वजीरी ने राकेश अस्थाना और डीएसपी देवेंद्र कुमार की याचिका पर सुनवाई पूरी करके फैसला सुरक्षित रखा था. दरअसल, 2 करोड़ रुपये के रिश्वत के मामले में तत्कालीन सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा ने FIR दर्ज कराई थी.
बता दें कि सीबीआई में नंबर दो रैंक के अधिकारी हैं राकेश अस्थाना, जिन्हें केंद्र सरकार ने छुट्टी पर भेज दिया था. कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में FIR करने से पहले हायर अथॉरिटी की इजाज़त ज़रूरत नहीं थी. साथ ही सीबीआई को कोर्ट ने कहा कि 10 हफ़्ते में जांच पूरी करे. कोर्ट ने राकेश अस्थाना की गिरफ्तारी पर लगी अंतरिम रोक भी हटाई थी.
कौन हैं राकेश अस्थाना :
राकेश अस्थाना (Rakesh Asthana) 1984 बैच के गुजरात काडर के IPS हैं. वह पहली बार साल 1996 में चर्चा में आए, जब उन्होंने चारा घोटाला मामले में लालू यादव को गिरफ्तार किया. दूसरी तरफ, 2002 में गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आगजनी की जांच के लिए गठित SIT का नेतृत्व भी राकेश अस्थाना ने ही किया था. इसके अलावा वह अहमदाबाद ब्लास्ट और आसाराम केस जैसे तमाम चर्चित मामलों की जांच में शामिल रहे हैं. आपको बता दें कि राकेश अस्थाना को पिछले साल अक्टूबर में सीबीआई का स्पेशल डायरेक्टर नियुक्त किया गया था. CBI में यह उनकी दूसरी पारी है. इससे पहले वह अतिरिक्त निदेशक के पद पर काम कर चुके हैं. वडोदरा और सूरत के पुलिस कमिश्नर रहे राकेश अस्थाना को पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का करीबी भी माना जाता है.
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