नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट निगरानी भी करेगा और सीबीआई जांच भी करेगी लेकिन व्यापमं जैसे बड़े मामलों की जांच के लिए सीबीआई में साधन की जो कमी है, वो एक बड़ा सवाल बनी हुई है।
करीब दस दिन पहले सीबीआई ये मामला अपने हाथ में ले चुकी है और इस घोटाले की जांच के लिए उसने देश भर से 40 अफ़सर जुटाए हैं। लेकिन तमाम राजनीतिक हंगामे के बावजूद कार्यवाही धीमी है। सीबीआई के लिए फिलहाल चुनौती ये है कि वो सारे मामलों की जांच कर पाएगी या नहीं क्योंकि व्यापमं जैसे बड़े मामले की जांच के लिए अफ़सर भी कम पड़ रहे हैं। अब तक सीबीआई ने इस मामले में 13 एफआइआर और पांच प्राथमिक जांच दर्ज की है, इनमें नम्रता दामोर और अक्षय सिंह के मामले शामिल हैं। लेकिन सीबीआई के सामने हज़ारों पन्नों के दस्तावेज़ हैं, 350 लोग इस मामले में गिरफ़्तार हुए हैं, साथ ही 185 और मामलों की उसे जांच करनी है।
औसतन साल में 1000 मामले दर्ज करने वाली सीबीआई के लिए ये 20 फ़ीसदी काम है। सीबीआई इसके लिए साधन नहीं जुटा पा रही है। इससे पहले सारदा मामले में सीबीआई अदालत में कह चुकी है कि स्थानीय पुलिस की मदद के बिना ये जांच नहीं हो पाएगी। हो सकता है, इस मामले में भी शहर के पुलिस की मदद ली जाए। सीबीआई को तोते का पिंजड़ा कहें या सत्ता का ग़ुलाम, ये अभी तक देश की सबसे महत्वपूर्ण जांच एजेंसी रही है। शायद इसलिए हर घपला उसके पहले से भारी कंधों पर डाल दिया जाता है लेकिन सवाल ये है कि सीबीआई के पास जांच के साधन पूरे न हों तो इससे बच निकलने का रास्ता भी बन जाता है। जांच जारी रहती है, आरोपी आज़ाद रहते हैं।
करीब दस दिन पहले सीबीआई ये मामला अपने हाथ में ले चुकी है और इस घोटाले की जांच के लिए उसने देश भर से 40 अफ़सर जुटाए हैं। लेकिन तमाम राजनीतिक हंगामे के बावजूद कार्यवाही धीमी है। सीबीआई के लिए फिलहाल चुनौती ये है कि वो सारे मामलों की जांच कर पाएगी या नहीं क्योंकि व्यापमं जैसे बड़े मामले की जांच के लिए अफ़सर भी कम पड़ रहे हैं। अब तक सीबीआई ने इस मामले में 13 एफआइआर और पांच प्राथमिक जांच दर्ज की है, इनमें नम्रता दामोर और अक्षय सिंह के मामले शामिल हैं। लेकिन सीबीआई के सामने हज़ारों पन्नों के दस्तावेज़ हैं, 350 लोग इस मामले में गिरफ़्तार हुए हैं, साथ ही 185 और मामलों की उसे जांच करनी है।
औसतन साल में 1000 मामले दर्ज करने वाली सीबीआई के लिए ये 20 फ़ीसदी काम है। सीबीआई इसके लिए साधन नहीं जुटा पा रही है। इससे पहले सारदा मामले में सीबीआई अदालत में कह चुकी है कि स्थानीय पुलिस की मदद के बिना ये जांच नहीं हो पाएगी। हो सकता है, इस मामले में भी शहर के पुलिस की मदद ली जाए। सीबीआई को तोते का पिंजड़ा कहें या सत्ता का ग़ुलाम, ये अभी तक देश की सबसे महत्वपूर्ण जांच एजेंसी रही है। शायद इसलिए हर घपला उसके पहले से भारी कंधों पर डाल दिया जाता है लेकिन सवाल ये है कि सीबीआई के पास जांच के साधन पूरे न हों तो इससे बच निकलने का रास्ता भी बन जाता है। जांच जारी रहती है, आरोपी आज़ाद रहते हैं।
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