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This Article is From Jan 22, 2019

केंद्रीय विश्वविद्यालयों का मामला : सुप्रीम कोर्ट के फैसले से SC, ST और OBC की नियुक्तियों पर होगा असर

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोटे के लाभ के लिए विश्वविद्यालय नहीं बल्कि विभाग को एक इकाई के रूप में लिया जाना चाहिए

केंद्रीय विश्वविद्यालयों का मामला : सुप्रीम कोर्ट के फैसले से SC, ST और OBC की  नियुक्तियों पर होगा असर
प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा फंडेड विश्वविद्यालयों में SC, ST और OBC की  नियुक्तियां घट सकती हैं.  सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोटे के लाभ के लिए विश्वविद्यालय नहीं बल्कि विभाग को एक इकाई के रूप में लिया जाना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और UGC की अपील खारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला तर्कसंगत है. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद  रुकी हुई भर्ती प्रक्रिया फिर से शुरू होगी. लगभग 6000 पदों पर भर्तियां रुकी हुई थीं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिक्षकों, प्रोफेसरों की भर्ती के लिए विश्वविद्यालय-स्तर पर नौकरियों को एक साथ जोड़कर नहीं देख सकते. एक विभाग के प्रोफेसर की दूसरे विभाग के प्रोफेसर से तुलना कैसे की जा सकती है?

दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अप्रैल 2017 में 200 प्वाइंट वाले रोस्टर, जिसमें कॉलेज/यूनिवर्सिटी को एक यूनिट माना जाता था, रद्द कर दिया था और कहा था कि विवि नहीं बल्कि विभाग को एक इकाई माना जाना चाहिए. इससे पहले UGC का रोस्टर लागू था जिसमें विवि को एक इकाई माना जाता था और SC, ST व ओबीसी को प्रोफेसर आदि से पद पर आरक्षण दिया जाता था.

हाईकोर्ट के फैसले के बाद  विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने घोषणा की थी कि एक विभाग को अपने आप में ही बेस यूनिट माना जाएगा जिससे कि अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए सुरक्षित शिक्षकों के पदों की गणना की जा सके. SC-ST वर्ग से आने वाले शिक्षकों के लिए ये नुकसान की स्थिति हो गई. गतिरोध इतना बढ़ा कि कालेज/विश्वविद्यालयों को कक्षाएं तदर्थ (ad hoc) शिक्षकों की मदद लेकर चलानी पड़ीं.

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दरअसल हाईकोर्ट के फैसले के बाद यूजीसी ने देश के सभी विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों को आदेश दिया था कि प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसरों के पदों को भरने के लिए विश्वविद्यालय को इकाई न मानकर, विभाग को इकाई मानते हुए रोस्टर प्रक्रिया लगाई जाए. इसका विरोध कर रहे लोगों का कहना था कि इस नई व्यवस्था से एससी-एसटी और ओबीसी को मिलने वाला प्रतिनिधित्व समाप्त हो जाएगा. हंगामा बढ़ते देखकर UGC और केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में फैसले को चुनौती दी थी.

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