सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ तय करेगी कि क्या संसदीय कमेटी की रिपोर्ट पर कोर्ट सरकार को आदेश दे सकता है?
नई दिल्ली:
अब संविधान पीठ तय करेगी कि क्या संसदीय कमेटी की रिपोर्ट पर कोर्ट सरकार को आदेश दे सकता है? सुप्रीम कोर्ट में दो जजों की बेंच ने मामले को पांच जजों की संविधान पीठ को भेज दिया है. सुप्रीम कोर्ट गुजरात और आंध्र प्रदेश में आदिवासी लड़कियों पर एचपीवी वैक्सीन के ट्रायल के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है. याचिका में इस ट्रायल को अनैतिक बताया गया है. याचिका में संसदीय कमेटी की रिपोर्ट का हवाला दिया गया है और ट्रायल की आलोचना की गई है.
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संसदीय कमेटी की रिपोर्ट संसद में बहस और मुद्दे को समझने के लिए इस्तेमाल होती है. जहां तक इस बहस का सवाल है, कोर्ट के हाथ बंधे हुए हैं. क्या कोर्ट संसदीय कमेटी की रिपोर्ट पर न्यायिक समीक्षा कर सकता है?
वहीं केंद्र सरकार ने भी इसका विरोध किया और कहा कि पैनल की रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट सरकार को आदेश नहीं दे सकता. यह संवैधानिक पैरामीटर के आधार पर देखा जाना चाहिए. केंद्र ने यह भी कहा कि आर्टिकल 122 साफ करता है कि कोर्ट संसद के अंदर चल रही प्रक्रिया में दखल नहीं दे सकता.
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संसदीय कमेटी की रिपोर्ट संसद में बहस और मुद्दे को समझने के लिए इस्तेमाल होती है. जहां तक इस बहस का सवाल है, कोर्ट के हाथ बंधे हुए हैं. क्या कोर्ट संसदीय कमेटी की रिपोर्ट पर न्यायिक समीक्षा कर सकता है?
वहीं केंद्र सरकार ने भी इसका विरोध किया और कहा कि पैनल की रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट सरकार को आदेश नहीं दे सकता. यह संवैधानिक पैरामीटर के आधार पर देखा जाना चाहिए. केंद्र ने यह भी कहा कि आर्टिकल 122 साफ करता है कि कोर्ट संसद के अंदर चल रही प्रक्रिया में दखल नहीं दे सकता.
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