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This Article is From Jul 07, 2021

सर्बानंद सोनोवाल: हिमंत बिस्वा सरमा के खातिर छोड़ी असम के CM की कुर्सी, अब बने PM मोदी के नए महारथी

एजीपी की सीनियर लीडरशिप के रवैये से नाखुश होकर सर्बानंद 2011 में बीजेपी में शामिल हुए. असम में किसी असरदार चेहरे की तलाश कर रही बीजेपी ने उन्हें हाथों हाथ लिया. वे असम बीजेपी के अध्‍यक्ष रह चुके हैं.

सर्बानंद सोनोवाल असम के कछारी जनजातीय समुदाय से आते हैं (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

असम में बीजेपी के कद्दावर नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल (Sarbananda sonowal) उन 15 कैबिनेट मंत्रियों में से एक हैं, जिन्हें आज मंत्री पद की शपथ ग्रहण की. असम में बीजेपी को दोबारा सत्ता दिलाने में उनकी काफी अहम भूमिका रही है. चुनाव जीतने के बाद सीएम की कुर्सी उन्होंने खुशी-खुशी हिमंत बिस्वा सरमा के लिए छोड़ दी थी. 59 वर्षीय सर्बानंद की गिनती असम के युवा तेजतर्रार नेताओं में होती है.

उनका जन्म डिब्रूगढ़ जिले के दिनजन में 31 अक्टूबर 1962 को हुआ. वे 1992 से 1999 तक आल असम स्टूडेंट यूनियन (AASU) के अध्‍यक्ष रहे. बाद में असम गण परिषद (एजीपी) की सदस्य रहे. साल 2001 में वे पहली बार इस पार्टी से विधायक बने. वर्ष 2004 में उन्होंने पहली बार लोकसभा में एंट्री की. तब उन्होंने डिब्रूगढ़ से कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन सिंह घटोवार को पराजित किया था. 2022 में हुए असम विधानसभा चुनाव में बीजेपी को दोबारा सत्ता में लाने में सोनोवाल ने काफी मदद की.

एजीपी की सीनियर लीडरशिप के रवैये से नाखुश होकर सर्बानंद 2011 में बीजेपी में शामिल हुए. असम में किसी असरदार चेहरे की तलाश कर रही बीजेपी ने उन्हें हाथों हाथ लिया. वे असम बीजेपी के अध्‍यक्ष रह चुके हैं.

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में सर्बानंद ने असम की लखीमपुर सीट से जीत हासिल की थी जबकि 2016 के विधानसभा चुनाव में वे माजुली से जीते थे. वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में केंद्र में एनडीए की सरकार आने के बाद सर्बानंद सोनोवाल को खेल मंत्री बनाया गया. सोनोवाल खेलों के अच्छे जानकार हैं.

सर्बानंद सोनोवाल असम के कछारी जनजातीय समुदाय से आते हैं. उन्हें 'जातीय नायक'  भी कहा जाता है. यह उपमा उन्‍हें राज्य के सबसे पुराने छात्र संगठन AASU ने दी थी. सोनोवाल के पास एलएलबी की डिग्री है. अपने डेढ़ दशक से अधिक के सियासी करियर के दौरान उनकी छवि साफसुथरी रही है और कभी भी उनका नाम विवादों में नहीं आया.

सर्बानंद की गिनती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खास सिपहसालारों में की जाती है. बीजेपी के दूसरे नेताओं की ही तरह अवैध बांग्‍लादेशी अप्रवासियों को लेकर सोनोवाल का रुख बेहद सख्‍त है और वे बांग्लादेशियों की भारत में 'घुसपैठ' का मसला सुप्रीम कोर्ट में भी उठा चुके हैं. सर्बानंद के नेतृत्‍व में साल 2016 में असम में बीजेपी को बड़ी कामयाबी मिली थी. इसके साथ बीजेपी ने पूर्वोत्‍तर के किसी राज्य में पहली बार जीत हासिल की थी.

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