प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव अभियान पर एक किताब लिखी गई है। यह किताब पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर के मीडिया सलाहकार और मशहूर पत्रकार लांस प्राइस ने लिखी है।
किताब का नाम है 'द मोदी एफेक्ट: इनसाइड नरेंद्र मोदीज कैंपेन टू ट्रांसफॉर्म इंडिया' (The Modi Effect: Inside Narendra Modi's Campaign to Transform India), जिसमें प्रधानमंत्री मोदी के लोकसभा चुनाव अभियान की दिलचस्प बातों का जिक्र किया गया है।
इनमें अरविंद केजरीवाल, चुनाव अभियान में कॉरपोरेट्स की मदद लेने के सवाल पर पीएम मोदी का जवाब और चुनाव परिणाम के दिन उनकी प्रतिक्रिया जैसे कई दिलचस्प बातें हैं।
लांस प्राइस के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे कहा था, केजरीवाल की उम्मीदवारी पर मैं खामोश रहा क्योंकि खामोशी ही मेरी ताकत है... केजरीवाल कुछ और नहीं, बल्कि एक शहर के छोटे नेता हैं... कई विपक्षी नेताओं को छोड़कर केजरीवाल को ज्यादा तरजीह दी जा रही है। मुझे निशाना बनाने के लिए केजरीवाल का नाम मीडिया के एक चुनिंदा समूह ने कांग्रेस के इशारे पर उछाला।
लोकसभा चुनाव के मतगणना वाले दिन के बारे में प्रधानमंत्री ने बताया कि 16 मई की सुबह जब मतगणना शुरू हुई थी तब वह अपने कमरे में अकेले थे, जहां कोई टेलीविजन नहीं चल रहा था और उन्होंने दिन में 12 बजे तक कोई टेलीफोन भी नहीं सुना था।
प्रधानमंत्री ने कहा, सुबह जब मतगणना चल रही थी, मैं अपने कमरे में एकदम अकेला था और टीवी ऑन नहीं था। चुनावों की थकान के बाद मैं अपने अध्यात्मिक कामकाज को पूरा कर रहा था और ध्यान का आनंद ले रहा था। उन्होंने कहा कि मतगणना के दिन उन्होंने दोपहर 12 बजे के बाद ही फोन रिसीव करना शुरू किया और परिणामों के बारे में पहला फोन उस वक्त के बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह का आया था, जिन्होंने मुझसे कहा था कि यह तो पहले ही पता था कि हम चुनावों में भारी बहुमत प्राप्त करेंगे।
यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इंटरव्यू, उनकी कैबिनेट के सहयोगियों पीयूष गोयल, प्रकाश जावड़ेकर और स्मृति ईरानी, मोदी के सलाहकारों और विश्लेषकों से बातचीत पर आधारित है।
किताब में बीजेपी के बड़े कॉरपोरेट दानदाताओं से रिश्तों के बारे में भी चर्चा है। पीएम मोदी ने कहा, इस बारे में बहुत कुछ लिखा गया कि हम कॉरपोरेट के निजी विमान इस्तेमाल कर रहे हैं। कृपया ध्यान रखिए कि अगर जरूरी हुआ तो मैं चुनाव प्रचार के लिए साइकिलें भी किराये पर लूंगा। उन्होंने आगे कहा, भारत जैसे विशाल और विविधिताओं वाले देश में प्रचार प्रबंधन के लिए इधर से उधर जाने के वास्ते हमें विमानों की जरूरत थी। हमने जो भी इस्तेमाल किया, उस पर आए खर्चे की पाई-पाई हमारी पार्टी ने चुकाई है।
प्राइस ने बताया कि पीएम मोदी उन्हें इस बात के लिए उन तक 'अभूतपूर्व पंहुच' देने पर सहमत हुए कि इससे वह उस चुनाव प्रचार का विश्लेषण कर सकें, जो उन्हें सत्ता में लाया। प्राइस ने बताया, मैं पीएम मोदी से चार बार मिला और हर बार एक-एक घंटे के लिए, कभी उससे भी अधिक समय के लिए। वह प्राय: हमेशा ही बहुत अच्छी अंग्रेजी में बोले और प्रचार के बारे में तथा अपने विचारों के बारे में गहराई से बताया, जिसे मैंने किताब में शामिल किया।
इस पुस्तक में वाराणसी में 'आप' प्रमुख अरविंद केजरीवाल और मोदी के बीच मुकाबले का भी उल्लेख है। हालांकि, केजरीवाल के अपनी उम्मीदवारी की घोषणा और 'राजनीतिक भूचाल' के वादे पर मोदी खामोशी अख्तियार किए रहे। इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने प्राइस से कहा, मेरी खामोशी मेरी ताकत है...आपको यह जानना चाहिए कि वृहद आयाम में, केजरीवाल और कुछ नहीं, बल्कि एक छोटे शहर के एक अकेले नेता हैं। विपक्ष के अन्य नेताओं के मुकाबले उन्हें जरूरत से ज्यादा सुर्खियां मिल रही हैं। ऐसे में किसी की अनदेखी करने में भी समय क्यों गंवाया जाए?
मोदी ने कहा कि गुजरात में 2012 के चुनाव में जीत के बाद से, उन्हें यह साफ लग रहा था कि वह उनमें से एक होंगे जिसके बारे में उम्मीदवारी (प्रधानमंत्री पद) के लिए विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा, लेकिन मैंने वास्तव में कभी इस बारे में सोचा नहीं या न कभी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए नोमिनेट किए जाने के वास्ते पार्टी के भीतर लामबंदी की। न ही मेरी दिलचस्पी इस बारे में रही कि मुझे या फिर किसी और को नोमिनेट किया जाएगा।
पीएम मोदी ने यह भी बताया कि चुनाव से पहले इंटरव्यू देने की योजना उन्होंने कैसे बनाई। उनके अनुसार, मैंने निर्णय किया कि मैं मीडिया के लिए उपलब्ध नहीं होउंगा। मैंने एक खालीपन पैदा करने के लिए ऐसा जानबूझ कर किया और इस खालीपन के कारण ही मुझ पर ध्यान दिया गया।
मोदी चुनाव प्रचार के अंतिम समय में ही पूरी तरह राष्ट्रीय मीडिया के समक्ष गए, पहले हिन्दी चैनलों के पास और उसके बाद अंग्रेजी चैनलों के पास। उन्होंने कहा कि इससे उन्हें हर समय अपने संदेश जनता तक पंहुचाते रहने का मौका मिला। उन्होंने कहा, मैंने एक ही बार में अपने सारे तीर न चलाकर जनता में इस बारे में जिज्ञासा लगातार बनाए रखी कि अब मैं आगे क्या कहूंगा।
(इनपुट भाषा से भी)
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