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This Article is From Apr 14, 2015

बॉम्बे हाईकोर्ट का बिल्‍डरों को बड़ा झटका, कल्याण-डोंबिविली में फिलहाल नई इमारतें नहीं

मुंबई : बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक दिन में मुंबई और उसके आसपास बिल्डरों को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने जहां मुंबई की 56000 अवैध निर्माणों को वैध करने के सरकारी फैसले पर फिलहाल रोक लगा दी है, वहीं मुंबई से सटे कल्याण-डोंबिविली में फिलहाल कोई नई बिल्डिंग नहीं बनाने को कहा है।

कूड़े-कचरे के निपटारे में असफलता की वजह से कोर्ट ने कल्याण-डोंबिविली महानगरपालिका के प्रति सख्ती दिखाई है।

साल 2009 में कौस्तुभ गोखले नाम के एक शख्स ने कल्याण-डोंबिविली में कूड़े-कचरे के निपटारे में प्रशासकीय असफलता को लेकर एक जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में ये भी दावा किया गया था कि कल्याण में आधारवाड़ी डंपिंग ग्राउंड अवैध है, जिसकी वजह से उल्हास नदी तो प्रदूषित हो ही रही है, तकरीबन एक लाख लोगों की सेहत पर इसका बुरा असर पड़ रहा है।

फैसले से गोखले काफी ख़ुश हैं, एनडीटीवी से बातचीत में उन्होंने कहा, 'कोर्ट ने आदेश में रिहाइशी सहित सारे निर्माण को फिलहाल बंद करने का आदेश दिया है, साथ ही राज्य सरकार से कहा है कि वो काम के लिए निर्देश दे। मामले में अगली सुनवाई 5 मई को है, देखते हैं क्या होता है।'

केडीएमसी कमिश्नर मधुकर अंधड़, ने फैसले के बाद कहा कि हमने फौरन कार्रवाई शुरू की है, कमेटी बनाई है कचरा व्यवस्थापन के लिए। जिन लोगों ने काम में लापरवाही बरती है उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।

इस फैसले से बिल्डरों में तो नाराज़गी है ही, मामले में सियासत भी शुरू हो गई है। नेता केडीएमसी के अधिकारियों को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं, बिल्डरों को भी लगता है कि बाबुओं की लापरवाही की सज़ा उन्हें मिली है।

दूसरे मामले में बॉम्बेहाई कोर्ट में जस्टिस अभय ओक की खंडपीठ ने मुंबई महानगरपालिका के उस स्टे पर भी रोक लगा दी है, जिसके तहत 56000 निर्माण को उसने वैध करने का फैसला किया था। एक सर्वे बताता है कि मुंबई से सटे ठाणे में ढाई लाख, पुणे में 43 हजार, नवी मुंबई में 72 हजार जबकि, मुंबई उपनगर में 45 फीसदी और मुंबई शहर में 25 फीसदी निर्माण अवैध हैं।

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