
तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार के दौरान बोफोर्स घोटाले की बात सामने आई थी...
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कल सीबीआई डायरेक्टर पीएसी की उपसमिति के सामने पेश हुए थे.
हाईकोर्ट ने 2005 में बोफोर्स केस को खारिज़ कर दिया था.
केस खोलने के लिए समिति ने सीबीआई को दो हफ्ते का वक्त दिया है.
सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को लोक-लेखा समिति से संबद्ध रक्षा मामलों की उपसमिति के सदस्यों के सवालों का सामना करना पड़ा कि सीबीआई ने उस समय शीर्ष अदालत में गुहार क्यों नहीं लगाई जब दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2005 में मामले की कार्यवाही निरस्त कर दी थी.
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छह सदस्यीय पीएसी की रक्षा मामलों पर उपसमिति बोफोर्स तोप सौदे पर 1986 की कैग रिपोर्ट के कुछ खास पहलुओं का अनुपालन नहीं किए जाने को लेकर गौर कर रही है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने 2005 में बोफोर्स केस को खारिज़ कर दिया था...
अब सवाल यह है कि क्या बरसों से बंद पड़ा बोफोर्स का जिन्न एक बार फिर बाहर निकलेगा, एक नज़र...
- संसद की लोक लेखा समिति की सबकमेटी ने बोफोर्स मामले को दोबारा खोलने को कहा है.
- कल सीबीआई डायरेक्टर पीएसी की उपसमिति के सामने पेश हुए थे.
- इसकी अगुवाई भतृहरि माहताब कर रहे है.
- इसमें संसदीय समिति ने सीबीआई से पूछा कि हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती क्यों नहीं दी.
- इसके जवाब में उन्होंने कहा कि सरकार की हरी झंडी का इंतज़ार कर रहे थे
- हाईकोर्ट ने 2005 में बोफोर्स केस को खारिज़ कर दिया था.
- अब संसदीय समिति ने सरकार से हरी झंडी लेकर केस दोबारा खोलने को कहा है.
- इसके लिए समिति ने सीबीआई को दो हफ्ते का वक्त दिया है.
- दरअसल ये समिति बोफोर्स मामले में सीएजी रिपोर्ट के कुछ पहलुओं की जांच कर रही है.
(इनपुट भाषा से भी)
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