खास बातें
- सुप्रीम कोर्ट ने 1999 के बीएमडब्ल्यू केस में संजीव नंदा की सजा को नहीं बढ़ाया है। अलबत्ता उन पर 50 लाख रुपये का जुर्माना किया गया है और उन्हें दो साल समाजसेवा करने का आदेश दिया गया है।
नई दिल्ली: साल 1999 के बहुचर्चित बीएमडब्ल्यू हिट एंड रन मामले के दोषी संजीव नंदा को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उसकी दो साल की सजा की अवधि बढ़ाने से इनकार कर दिया, क्योंकि वह यह सजा पहले ही काट चुका है। बहरहाल कोर्ट ने उसे दो साल तक सामुदायिक सेवा करने का आदेश दिया।
कोर्ट ने इस मामले में संजीव नंदा को दोषी ठहराए जाने के फैसले को बरकरार रखा। पूर्व नौसेना प्रमुख एसएम नंदा के पोते संजीव को न्यायालय ने आदेश दिया कि वह केंद्र को 50 लाख रुपये अदा करे। इस राशि का उपयोग सड़क दुर्घटना के शिकार लोगों को मुआवजा देने के लिए किया जाएगा।
34 वर्षीय नंदा ने 1999 में तीन पुलिसकर्मियों सहित छह लोगों को अपनी बीएमडब्ल्यू कार से कुचल कर मार डाला था। न्यायमूर्ति दीपक वर्मा और न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन की पीठ ने लापरवाहीपूर्वक गाड़ी चलाने के लिए भारतीय दंड संहिता के उदारता वाले प्रावधान 304 ए के तहत नंदा को दोषी ठहराने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को आंशिक रूप से दरकिनार कर दिया, लेकिन उसे सुनाई गई दो साल की सजा बरकरार रखी।
इस मामले में नंदा को दिल्ली की एक अदालत ने पांच साल कैद की सजा सुनाई थी। इसके बाद नंदा ने दिल्ली हाइकोर्ट में अपनी सजा कम करने की अपील की और हाइकोर्ट ने नंदा की अपील को मंजूर करते हुए उसकी सजा पांच साल से घटाकर दो साल कर दी। नंदा की सजा घटाए जाने के खिलाफ दिल्ली पुलिस की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। दिल्ली पुलिस ने अपनी इस याचिका में कोर्ट से नंदा को कम से कम 10 साल की सजा देने की अपील की थी।
(इनपुट भाषा से भी)