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This Article is From May 21, 2021

ब्लैक फंगस की दवा के लिए 5 और कंपनियों को दिया गया लाइसेंस, विदेश से भी आयात करेगी सरकार

ब्लैक फंगस (Myucormycosis) से पीड़ित कई मरीजों की जान बचाने को उनकी आंखों को निकालना पड़ा है. यूपी, दिल्ली, गुजरात, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में ब्लैक फंगस के तमाम मरीज मिले हैं.

ब्लैक फंगस की दवा के लिए 5 और कंपनियों को दिया गया लाइसेंस, विदेश से भी आयात करेगी सरकार
Black Fungus आंखों पर डालता है असर
नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने ब्लैक फंगस से होने वाली बीमारी म्यूकरमाइकोसिस के इलाज में इस्तेमाल दवा ‘एम्फोटेरिसिन-बी' के उत्पादन के लिए 5 और कंपनियों को लाइसेंस जारी कर दिया है. ये कंपनियां जुलाई से हर महीने इस दवा की 1,11,000 शीशियों का उत्पादन शुरू करेंगी.गौरतलब है कि ये खतरनाक बीमारी मरीजों की नाक, मुंह और दिमाग पर असर डालती है. अगर समय पर दवा न मिले तो मरीज की मौत भी हो जाती है. ब्लैक फंगस से पीड़ित कई मरीजों की जान बचाने को उनकी आंखों को निकालना पड़ा है. यूपी, दिल्ली, गुजरात, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में ब्लैक फंगस के तमाम मरीज मिले हैं.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि फंगस रोधी दवा की घरेलू उपलब्धता के अलावा इस दवा के आयात के प्रयास भी किए जा रहे हैं. मई में ‘एम्फोटेरिसिन-बी' की 3,63,000 शीशियों का आयात किया जाएगा. देश में (घरेलू उत्पादन को मिलाकर) दवा की कुल 5,26,752 शीशियां उपलब्ध होंगी. जून में दवा की 3,15,000 शीशियों का आयात किया जाएगा. घरेलू उत्पादन को मिलाकर देश में जून में ‘एम्फोटेरिसिन-बी' की उपलब्धता बढ़कर 5,70,114 शीशियों तक पहुंच जाएगी.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि कई राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से कोरोना से पीड़ित लोगों को म्यूकरमाइकोसिस होने के मामलों बढ़ोतरी की खबरें हैं. एंफोटेरिसिन-बी दवा की कमी होने की भी खबरें हैं. लिहाजा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, औषध विभाग और विदेश मंत्रालय के साथ मिलकर इस दवा के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिए पहले से सक्रिय होकर प्रयास कर रहा है. केंद्र सरकार ने दवा घरेलू उपलब्धता के पूरी करने के लिए विदेशी कंपनियों से भी दवा हासिल करने के भी प्रयास किए हैं.

‘एम्फोटेरिसिन-बी' के उत्पादन के लिए जिन 5 और कंपनियों को लाइसेंस दिया गया है, उनमें नैटको फार्मास्यूटिकल्स हैदराबाद, एलेंबिक फार्मास्यूटिकल्स वड़ोदरा, गुफिक बायोसाइंसेज लिमिटेड गुजरात, एमक्योर फार्मास्यूटिकल्स पुणे और गुजरात स्थित लाइका शामिल है.बयान में कहा गया कि ये कंपनियां इस साल जुलाई से हर महीने ‘एंफोटेरिसिन-बी' की 1,11,000 शीशियों का उत्पादन शुरू करेंगी.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और औषधि विभाग इस दिशा में पहले से सक्रिय होकर काम कर रहे हैं कि ये पांचों कंपनियां इस उत्पादन का कुछ हिस्सा थोड़ा पहले तैयार कर लें जिससे कि यह अतिरिक्त आपूर्ति जून में शुरू हो सके. देश में मौजूदा समय में ‘एंफोटेरिसिन-बी' का उत्पादन करनेवाली 5 कपंनियां भारत सीरम्स एंड वैक्सीन लिमिटेड, बीडीआर फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड, सन फार्मा लिमिटेड, सिप्ला लिमिटेड, लाइफ केयर इनोवेशंस हैं और एक आयातक कंपनी माइलन लैब्स है.

अप्रैल के महीने में इन कंपनियों की उत्पादन क्षमता काफी सीमित थी. भारत सरकार की मदद के परिणामस्वरूप ये घरेलू विनिर्माता मई में ‘एंफोटेरिसिन-बी' की कुल मिलाकर 1,63,752 शीशियों का उत्पादन करेंगी. इसे और बढ़ाकर जून में 2,55,114 शीशियों तक किया जाएगा. आयात के माध्यम से इस फंगस रोधी दवा की घरेलू उपलब्धता को बढ़ाने के प्रयास भी किए जा रहे हैं.

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