Black Fungus: दिल्ली में ब्लैक फंगस के इंजेक्शन की कमी, हरकत में आई सरकार

दिल्ली सरकार ने एंफोटेरिसिन-बी इंजेक्शन के अंधाधुंध इस्तेमाल को रोकने तथा जरूरतमंद एवं अस्पताल में भर्ती कोविड-19 मरीजों के बीच इस दवा के वितरण की पारदर्शी एवं कुशल व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए चार सदस्यीय तकनीकी विशेषज्ञ समिति गठित की है.

Black Fungus: दिल्ली में ब्लैक फंगस के इंजेक्शन की कमी, हरकत में आई सरकार

दिल्ली में ब्लैक फंगस के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली इंजेक्शन के लिए बन समिति। (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

दिल्ली सरकार ने एंफोटेरिसिन-बी इंजेक्शन के अंधाधुंध इस्तेमाल को रोकने तथा जरूरतमंद एवं अस्पताल में भर्ती कोविड-19 मरीजों के बीच इस दवा के वितरण की पारदर्शी एवं कुशल व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए चार सदस्यीय तकनीकी विशेषज्ञ समिति गठित की है. इस दवा का इस्तेमाल ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस के उपचार में किया जाता है और फिलहाल इसकी कमी हो गयी है. दिल्ली के अस्पतालों ने कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान कोरोना संक्रमण से उबर रहे मरीजों में ब्लैक फंगस के मामले बढ़ने की बात कही है और इसकी वजह डाक्टर से बिना परामर्श लिए, घरों में स्टेरॉयड का ‘अतार्किक' इस्तेमाल हो सकता है.

इस समिति के प्रमुख श्वासरोग विज्ञानी डॉ. एम के डागा होंगे जबकि मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज की डॉ. मनीषा अग्रवाल, डॉ. एस अनुराधा और डॉ. रवि मेहर अन्य सदस्य होंगे. स्वास्थ्य विभाग के आदेश के अनुसार, मरीजों के उपचार के वास्ते एंफोटेरिसिन-बी की जरूरत महसूस कर रहे सभी अस्पतालों को इस समिति को आवेदन देना होगा जो दिन में दो बार बैठक करके इन आवेदनों पर शीघ्र फैसला करेगी क्योंकि ‘‘ऐसे मामलों में समय एक अहम तत्व है.''

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आदेश में कहा गया है, ‘‘ इस समिति के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत साक्ष्य आधारित, चिकित्सीय दृष्टि से स्वीकृत मापदंड तथा समानता, यथोचित वितरण एवं पारदर्शिता होंगे.'' विभाग ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाएं महानिदेशालय, समिति के साथ तालमेल कायम करके निर्णय लेने में मदद करेगा और मंजूरी से लेकर संबंधित अस्पताल तक इस दवा की आपूर्ति पर नजर रखेगा.

जानें क्या हैं इसके कारण? 

डायबिटीज से पीड़ित कोविड​​​​-19 (Covid-19) रोगियों को जिन्हें इलाज के दौरान स्टेरॉयड दिया जा रहा है, उनमें म्यूकोर्मिकोसिस या "ब्लैक फंगस" (Mucormycosis or "black fungus) से प्रभावित होने की आशंका अधिक होती है. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बताया कि कई अस्पताल इस दुर्लभ लेकिन घातक संक्रमण में वृद्धि की रिपोर्ट कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "म्यूकोर्मिकोसिस बीजाणु मिट्टी, हवा और यहां तक ​​कि भोजन में भी पाए जाते हैं लेकिन वे कम विषाणु वाले होते हैं और आमतौर पर संक्रमण का कारण नहीं बनते हैं. कोविड-19 से पहले इस संक्रमण के बहुत कम मामले थे. अब कोविड के कारण बड़ी संख्या में इसके मामले सामने आ रहे हैं."

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स्टेरॉयड के दुरुपयोग से बढ़ता है खतरा

ब्लैक फंगस के मामलों के पीछे एक प्रमुख कारण के रूप में "स्टेरॉयड के दुरुपयोग" को चिह्नित करते हुए, डॉ गुलेरिया ने अस्पतालों से संक्रमण नियंत्रण प्रथाओं के प्रोटोकॉल का पालन करने का आग्रह किया है क्योंकि माध्यमिक संक्रमण - फंगल और बैक्टीरिया - को COVID-19 मामलों में तेजी से देखा जा सकता है, जिससे अधिक मौतें होती हैं. डॉ गुलेरिया ने कहा, "इस संक्रमण के पीछे स्टेरॉयड का दुरुपयोग एक प्रमुख कारण है. मधुमेह, कोविड पॉजिटिव और स्टेरॉयड लेने वाले रोगियों में फंगल संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है. इसे रोकने के लिए, हमें स्टेरॉयड के दुरुपयोग को रोकना चाहिए."

चेहरे, नाक, आंख या मस्तिष्क को प्रभावित कर सकता है

उन्होंने कहा, "म्यूकोर्मिकोसिस चेहरे, नाक, आंख या मस्तिष्क को प्रभावित कर सकता है, जिससे दृष्टि हानि भी हो सकती है. यह फेफड़ों में भी फैल सकता है." शुक्रवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने ब्लैक फंगस पर जागरूकता फैलाने के लिए एक ट्वीट किया, जिसमें इसके कई पहलुओं की अहम जानकारी दी गई है. 

( भाषा इनपुट के साथ )

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