भारतीय किसान यूनियन (BKU) ने देश के अलग-अलग जगहों पर धरना देकर सोमवार को विश्वासघात दिवस मनाया.किसानों का आरोप है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कमेटी बनाने और किसानों पर केस वापस करने का वादा किया था लेकिन न तो कोई कमेटी बनाकर बातचीत की गई और न ही किसानों पर दर्ज मामले वापस लिए गए. उत्तर प्रदेश के मुजफ्फर नगर में विश्वासघात दिवस मना रहे किसान बार-बार सरकार को गाजीपुर बार्डर के धरने की याद दिला रहे हैं.कृषि कानून के मामले पर आंदोलन करने वाले हजारों किसानों पर केस दर्ज किए. साथ ही फसलों के MSP पर कमेटी बना कर बातचीत करने का वादा भी पूरा नहीं हुआ है. किसान इस बात से भी नाराज हैं कि ये सारे मुद्दे इस चुनाव से गायब हैं.
वे कहते हैं कि मुगल ओर जिन्ना की बात तो हो रही है लेकिन सात सौ किसान मर गए उनकी कोई बात नहीं हो रही है. जो भी नेता आता है, वह कहता है कि बिजली बिल का माफ करेंगे, फसल के दाम मिलेंगे..किसान भुरभुरे दिल का होता है, तुरंत इन्हें सिर पर बैठाता है लेकिन छला जाता है.सबसे ज्यादा झूठा वादा तो इस सरकार ने किया है. जहां भारतीय किसान यूनियन के लोग तहसीलों में धरने पर बैठे हैं, वहीं भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत आगे की रणनीति पर समर्थकों के साथ अपने घर पर बैठक कर रहे हैं. वे मानते हैं कि सरकार, MSP पर बात नहीं कर रही है, लेकिन ग्रामीण इसका 'इलाज' करेंगे.
राकेश टिकैत कहते हैं, 'सरकार MSP पर बात नहीं कर रही है तो क्या उपाय करें? चुनाव है, अब गांवों में उपाय हो रहा है. बीजेपी भागने का रास्ता खोज रही है.' उधर, सत्तारूढ़ बीजेपी के तमाम मंत्रियों ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सघन चुनावी अभियान छेड़ रखा है लेकिन उनके भाषणों में जिन्ना और मुगल का जिक्र ज्यादा है और किसानों के MSP की बात नदारद है. यूपी विधानसभा चुनाव में शिक्षा, रोजगार खेती किसानी के मुद्दे गायब हैं. इस बीच, विश्वासघात दिवस के कई राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे है. पांच साल में चुनाव ही आमतौर पर ऐसा वक्त होता है जब बड़े नेता मंत्री गांव गांव की खाक छानते दिखते हैं और लोगों से मुखातिब होते हैं.
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