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This Article is From Oct 29, 2019

महाराष्ट्र : बीजेपी- शिवसेना गठबंधन में तनाव चरम पर, 30 अक्टूबर को अमित शाह नहीं जाएंगे मुंबई

महाराष्ट्र में 50-50 फॉर्मूले की मांग को लेकर अड़ी शिवसेना और उसकी ओर से जारी बयानबाजी से बीजेपी आलाकमान नाराज हो गया है.

महाराष्ट्र : बीजेपी- शिवसेना गठबंधन में तनाव चरम पर, 30 अक्टूबर को अमित शाह नहीं जाएंगे मुंबई
नई दिल्ली:

महाराष्ट्र में 50-50 फॉर्मूले की मांग को लेकर अड़ी शिवसेना और उसकी ओर से जारी बयानबाजी से बीजेपी आलाकमान नाराज हो गया है. सूत्रों के हवाले से खबर मिल रही है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह 30 अक्टूबर को अब मुंबई नहीं जा रहे हैं जहां उनकी बीजेपी विधायकों के साथ बैठक होनी थी. माना जा रहा था कि अमित शाह पार्टी विधायकों से मुलाकात के बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से भी मिलते और फिर मामले को सुलझा लिया जाता. लेकिन शिवसेना की ओर से की जा रही है बयानबाजी के बाद से अब मामला और बिगड़ गया है और महाराष्ट्र में भी बीजेपी के नेताओं का कहना है कि जब तक ऐसी बयानबाजी जारी है शिवसेना से कोई बातचीत नहीं की जानी चाहिए.  गौरतलब है कि सोमवार को शिवसेना नेता संजय राउत ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा था कि बीजेपी के साथ 50-50 के फॉर्मूले पर समझौता हुआ था. संजय राउत ने कहा, बीजेपी रामनाम जपती है, तो फिर वह सच बोले और बताए. 50-50 पर समझौता तो पहले ही हो चुका था.' वहीं आज जब न्यूज एजेंसी ANI की ओर से उनसे पूछा गया कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने में देरी क्यों हो रही है तो उन्होंने तंज कसते हुए  कहा, 'यहां कोई दुष्यंत नहीं हैं, जिनके पिता जेल में हों. यहां हम हैं, जो 'धर्म और सत्य' की राजनीति करते हैं. शरद जी जिन्होंने बीजेपी और कांग्रेस के खिलाफ माहौल बनाया है जो कभी बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे.' साथ ही कहा, 'उद्धव ठाकरे जी ने कहा है कि हमारे पास अन्य विकल्प भी हैं लेकिन हम उस विकल्प को स्वीकार करने का पाप नहीं करना चाहते हैं. शिवसेना ने हमेशा सच्चाई की राजनीति की है, हम सत्ता के भूखे नहीं हैं.'

आपको बता दें कि बीजेपी पर दबाव बढ़ाने के लिए शिवसेना हर तरफ से हमलावर है. सोमवार को शिवसेना ने मुखपत्र सामना के जरिए मोदी सरकार को निशाने पर लिया था. सामना में लिखा गया, 'बैंकों का दिवाला, जनता की जेब के साथ सरकारी तिज़ोरी भी ख़ाली है. गौरतलब है कि महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन होना है और इसी बीच सामना में आई यह टिप्पणी अहम है. शिवसेना के मुखपत्र सामना लिखा गया है कि  किसानों, खेतीहरों के हिस्से में वेतन, बोनस का सुख नहीं. केंद्र की माई-बाप सरकार कहती है कि किसानों की आय दोगुनी करेंगे.  प्राकृतिक आपदा से लागत जितनी भी आमदनी नहीं लेकिन इस पर कोई कुछ उपाय नहीं बताता है. देश भर में आर्थिक मंदी, बाज़ार में धूम-धड़ाका नहीं दिख रहा है मंदी की वजह से ख़रीदारी में 30-40% की कमी आई है. नोटबंदी, जीएसटी से आर्थिक हालात दिनों-दिन बदतर हो रहे हैं,  कारखाने खतरे में, उद्योग-धंधे बंद, रोज़गार निर्माण ठप हैं.

इसके आगे लिखा गया,  'बैंकों का दिवाला, जनता की जेब के साथ सरकारी तिज़ोरी भी ख़ाली, रिज़र्व बैंक से सुरक्षित रक़म निकालने की अमानवीयता, हमारे जमा सोने को तोड़ना चाहता है रिज़र्व बैंक, आर्थिक क्षेत्र में दिवाली का वातावरण नहीं दिख रहा, ऑनलाइन शॉपिंग से विदेशी कंपनियों के ख़ज़ाने भर रहे हैं, दिवाली के मुहाने पर महाराष्ट्र चुनाव में धूम-धड़ाका कम, सन्नाटा, ज़्यादा, एक ही सवाल गूंज रहा है, इतना सन्नाटा क्यों है भाई? गौरतलब है कि महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को इस बार बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, कांग्रेस को 44 और एनसीपी को 54 सीटें मिली हैं. यहां बहुमत के लिए 146 सीटें चाहिए.  

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